सुनो, बड़ी बात नहीं है मोहब्बत करना, बड़ी बात तो है मोहब्बत को सांस-सांस सहना।
बड़ी बात नहीं है अपने आंचल की खुशियों को किसी के नाम कर देना, बड़ी बात है कि फिर उन खुशियों के लिए न तो बिसूरना और न उनका जिक्र करना, खुद से भी नहीं।
बड़ी बात नहीं है अपनी आंखों में उगा लेना ढेर सारे ख्वाब, बड़ी बात है उन ख्वाबों की मजबूत परवरिश करना।
बड़ी बात नहीं है यूं ही किसी बीहड़, अनजाने सफर पर निकल पड़ना, बड़ी बात तो है उस सफर को जीवन का सबसे खुशनुमा सफर बना लेना।
कोई बड़ी बात नहीं है हथेलियों पर सूरज उगा लेना, बड़ी बात है सूरज की रोशनी को धरती के अंतिम अंधेरे तक पहुंचा पाना।
बड़ी बात नहीं है किसी का दिल जीत लेना, बड़ी बात है जीते हुए दिल पे अपनी जान हार जाना।
बड़ी बात नहीं विनम्रता की चादर ओढ़ अपने लिए गढ़वा लेना अच्छे होने की इबारतें, बड़ी बात है तमाम रूखेपन, अक्खड़ता, बीहड़ता के बावजूद किसी की आंख का आंसू किसी के दिल की धड़कन बन पाना।
(अगड़म बगड़म )
4 comments:
सही हे !!
bahut sunder kuch likha dekh ker accha laga
बहुत बड़ी बात कह दी आपने...
मुश्किल ये ही तो है , बड़ा सोच कर भी बात बड़ी नहीं बन पाती
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