वे चाँद पर जायेंगे
और उससे भी आगे उन ऊंचाइयों तक
जिन्हें दूरबीनें भी नहीं पकड़ सकतीं
लेकिन ज़मीन पर
आख़िरकार कब कोई भी भूखा नहीं होगा
या किसी से ख़ौफ़ नहीं खायेगा
आख़िरकार कब कोई भी भूखा नहीं होगा
या किसी से ख़ौफ़ नहीं खायेगा
या कब लोग यहाँ-वहाँ धक्के नहीं खायेंगे
दुत्कारे नहीं जायेंगे
उनके हक़ मारे नहीं जायेंगे?
दुत्कारे नहीं जायेंगे
उनके हक़ मारे नहीं जायेंगे?
चूंकि मैं ये सवाल उठाता हूँ
कम्युनिस्ट कहा जाता हूँ
- नाज़िम हिक़मत
कम्युनिस्ट कहा जाता हूँ
- नाज़िम हिक़मत
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