ना जाने कब ज़िंदगी का सम छूट गया...अपने ही सम को पकड़ने के लिए हाथ बढाया और खुद से ही छूट गयी. इस दरम्यान एक नींद के गाँव के बारे में सुना. सुना था कि उस गाँव में ख्वाब आते हैं. पलकों की डालों से चिपक जाते हैं. ख्वाबों की रेशमी छुवन ज़िंदगी के रेगिस्तान में कुछ नमी भर जाती है... ...सुना था कि उदासी नहीं रहती उस गाँव में. उस गाँव के हर घर के बाहर मुस्तैद पहरेदार होता है, जो उदासियों को भीतर जाने नहीं देता...रोक देता है दरवाजे पर. पहरेदार कभी बारिश, कभी बादल, कभी खुशबू की शक्ल में होता...उदासियों को हाथ पकड़कर गाँव के बाहर छोड़ आता. उस गाँव का रुख किया तो उदासियों से कहा, 'तुम मेरे साथ नहीं जा सकतीं. जहाँ मैं जा रही हूँ वहां तुम्हारे लिए कोई जगह ही नहीं है...' उदासियाँ और उदास हो गयीं, उन्हें मेरे साथ की आदत थी. मुझे भी, फिर भी नजर घुमा ही ली.
Monday, April 30, 2012
ओस की बिछावन पर स्म्रतियों के पंख ...
ना जाने कब ज़िंदगी का सम छूट गया...अपने ही सम को पकड़ने के लिए हाथ बढाया और खुद से ही छूट गयी. इस दरम्यान एक नींद के गाँव के बारे में सुना. सुना था कि उस गाँव में ख्वाब आते हैं. पलकों की डालों से चिपक जाते हैं. ख्वाबों की रेशमी छुवन ज़िंदगी के रेगिस्तान में कुछ नमी भर जाती है... ...सुना था कि उदासी नहीं रहती उस गाँव में. उस गाँव के हर घर के बाहर मुस्तैद पहरेदार होता है, जो उदासियों को भीतर जाने नहीं देता...रोक देता है दरवाजे पर. पहरेदार कभी बारिश, कभी बादल, कभी खुशबू की शक्ल में होता...उदासियों को हाथ पकड़कर गाँव के बाहर छोड़ आता. उस गाँव का रुख किया तो उदासियों से कहा, 'तुम मेरे साथ नहीं जा सकतीं. जहाँ मैं जा रही हूँ वहां तुम्हारे लिए कोई जगह ही नहीं है...' उदासियाँ और उदास हो गयीं, उन्हें मेरे साथ की आदत थी. मुझे भी, फिर भी नजर घुमा ही ली.
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11 comments:
बहुत सुन्दर !!
आस पास सुकूं हो............
तो किसी बहुत अपने की याद आना लाजमी है.......
:-)
अनु
याद............!
बहुत याद आती है ....
ख़्वाब भविष्य हैं और यादें भूत
मेरे ख्याबो की दुनिया भी बहुत खूबसूरत हैं
वहाँ ,सिर्फ और सिर्फ खुशियों का डेरा ||
ये ख्याबो की दुनिया बड़ी निराली सी हैं ....
जहाँ गम भी ना हो...आंसू भी ना हो...बस प्यार ही प्यार पले...उदासी का घुसना मना है...
beautiful post.nice optimistic thouhgt with sweet dreams in plane and green medows.
सच कहा आपने सपनों के गाँव मेंउदासियों के लिए कभी कोई जगहा नहीं होती न ही होनी चाहिए।
एक स्वप्निल सा आलेख .....पुरसुकून देता हुआ ....!!
..लेकिन मेरी इस बिछावन पर ख्वाब नहीं तुम्हारी याद आई...
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