सच तो ये है कुसूर अपना है ...
चाँद को छूने की तमन्ना की
आसमा को जमीन पर माँगा
फूल चाहा कि पत्थरों पर खिले..
काँटों में की तलाश खुशबू की
आरजू की कि आग ठंडक दे
बर्फ में ढूंढते रहे गर्मी
ख्वाब जो देखा, चाहा सच हो जाये
इसकी हमको सजा तो मिलनी थी
सच तो ये है कुसूर अपना है..
22 comments:
tarkash ke tir seedhe dil main
यदि हृदय धड़कना अपराध है तो अपराध अपना है।
चंद पंक्तियों में समझा दिया कि ज्यादा पाने की चाह में कसूर अपना ही होता है
masoom khvahishon ki saja...
True!
सच तो ये है कुसूर अपना है..
बहुत बढिया
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 10 - 05 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
aapko pahali bar padha , sundar laga /
bahut shaktishali paksh,bhavnaon ka .
addbhut .../ sadhuvad ji .
प्रतिभा मज़ा आ गया. बहुत खूबसूरत ज़ज्बात.
सच तो ये है कुसूर अपना है ...
चाँद को छूने की तमन्ना की
आसमा को जमीन पर माँगा
फूल चाहा कि पत्थरों पर खिले..haan ye kasoor apna hi hai, bahut achhi rachna
सच तो यह हे की कसूर अपना है "
वाह ! क्या बात है ? प्रतिभा जी,कभी हमरे अंगना भी आए ...
bahut achchi dil ko choo lene wali rachanaa.badhaai aapko.
bahut hi khoobsurti se aapne apni bat rakhi!
control urself & desires
sundar prastuti!
बेशक तमन्नाओं को पालना आसान नहीं होता ...दर्द को बहुत अच्छे से व्यक्त किया आपने ... पर हर सपने की बुनियाद पर ही हकीकत का महल खड़ा होता है इसलिए सपने जरूर देखें
फूल चाहा कि पत्थरों पर खिले..
काँटों में की तलाश खुशबू की
आरजू की कि आग ठंडक दे
बर्फ में ढूंढते रहे गर्मी
सच तो ये है कुसूर अपना है ... मगर तमन्नाओं बिना भी जीवन अधूरा ही है....!!!
बहरहाल यह भी सच है कि चाँद को छूने की तमन्ना भी कभी कभी करनी चाहिए.
sach to ye hai kusur apna hai.Mera soubhagay ki tughe dekha pahle PADHA bad me.Jo narm kone har kisi ke dil me rahte hain vo tumhari sanson ke sath hai.
बहुत शुक्रिया माया जी !
प्रतिभा जी, ख्वाहिशें ऐसी ही होती है,
ये दर्द अब तक मेरे दिल में था.
मेरे दर्द को आपने इतने खूबसूरत शब्द दिए है कि मै विस्मित हूँ.
मेरा दर्द कहीं आपके अंदर है,इस नाते आप मेरे बहुत करीब हो गयीं है ........
मर्मस्पर्शी रचना,
कल्पनाओं का शास्वत संसार शब्दों के माध्यम से आपने साकार कर दिया..
वाव वाव क्या बात है बहुत खूब ...............
Javed akhtar ki rachna h...
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