मुझे तेज़ धार वाली कवितायें चाहिए
जिनके किनारे से गुजरते ही लहूलुहान हो जाए जिस्म
जिन्हें हाथ लगाते ही रिसकर बहने लगे
सब कुछ सह लेने वाला सब्र
मुझे ढर्रे पर चलती जिन्दगी के गाल पर
थप्पड़ की तरह लगने वाली कवितायें चाहिए
कि देर तक सनसनाता रहे ढर्रे पर चलने वाला जीवन
और आखिर बदलनी ही पड़े उसे अपनी चाल
मुझे बारूद सरीखी कवितायें चाहिए
जो संसद में किसी बम की तरह फूटें
और चीरकर रख दें बहरी सरकारों के
कानों के परदे
मुझे बहुत तेज़ कवितायें चाहिए
साँसों की रफ़्तार से भी तेज़
समय की गति से आगे की कवितायें
हत्यारों के मंसूबों को बेधती कवितायें
और हो चुकी हत्याओं के खिलाफ
गवाह बनती कवितायें
मुझे चाहिए कवितायें जिनसे
ऑक्सीजन का काम लिया जा सके
जिन्हें घर से निकलते वक़्त
सुरक्षा कवच की तरह पहना जा सके
जिनसे लोकतन्त्र को
भीड़तंत्र होने से बचाया जा सके
मुझे चाहिए इतनी पवित्र कवितायें कि
उनके आगे सजदा किया जा सके
रोया जा सके जी भर के
और सजदे से उठते हुए हल्का महसूस किया जा सके
मुझे चूल्हे की आग सी धधकती कवितायें चाहिए
खेतों में बालियों सी लहलहाती कवितायें चाहिए
मुझे मोहब्बत के नशे में डूबी कवितायें चाहिए
भोली गिलहरी सी फुदकती कवितायें चाहिए
मुझे इस धरती पर मनुष्यता की फसल उगाने वाली कवितायें चाहिए.
अपना हक छीन लेने वाली कवितायें चाहिए
मुझे स्थिर तालाब में
एक शरारती बच्चे द्वारा फेंकें गए कंकड़
सरीखी कवितायें चाहिये
जो स्थिरता को भंग कर दें
हाथ से छू जाए तो लहू रिसने लगे
ऐसे सीसे से सने मांझे सी कवितायेँ चाहिए.
अपने हक के लिए सदियों तक धरने पर बैठने वाली नहीं
उठकर अपना हक छीन लेने वाली कवितायें चाहिये
रोजमर्रा की ऊब भरी जिन्दगी से टकराने वाली
रोज नए रास्तों की तलाश करने वाली कवितायें चाहिए
सरहदों पर खिंची सीमाओं को मिटा देने वाली
सत्ताओं को औंधे मुंह गिरा देने वाली कवितायें चाहिये
मुझे बच्चों के बस्तों में छुपाकर रखी गयी कॉमिक्स सी कवितायें चाहिए
बिना पुकारे तुम तक पुकार बनकर पहुँच जाने वाली कवितायें चाहिये
मुझे शरद के कंधे से टिककर
दूर कहीं गुम हो जाने वाले रास्तों को
ताकती कवितायें चाहिए
तुम्हारी याद की तरह
अदरक वाली चाय में घुल जाने वाली कवितायें चाहिए.
2 comments:
कविताएं हैं
बस जरा सा बिखरी हुई हैं
हर तरफ हैं बहुत हैं
बस जरा सा ऊँघ रही हैं ।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (15-04-2017) को "बदला मिजाज मौसम का" (चर्चा अंक-2941) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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