Tuesday, September 15, 2015

प्यार



उसने मुझे आवाज दी
मैंने आवाज सुनी
शब्द नहीं

मैंने उसे आवाज दी
उसने शब्द सुने
आवाज़ नहीं

हम दोनों एक दूसरे की तरफ बढे
लेकिन पहुंचे नहीं।





3 comments:

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर

Ritesh Kumar Nishchhal said...

जो समझ में आ जाये वो प्यार है जो समझ में ना आये वो भी प्यार है। .प्यार का हर वो हिस्सा वाकई तिलिस्मी है। जो समझ से परे है । आपकी ये चंद पंक्तियाँ उस अनसुलझे से प्यार की बेहतरीन समझ की ओर है। ..

Your Disciple - Ritesh Kumar Nischhal

Ritesh Kumar Nishchhal said...

मेरी उपरोक्त पंक्तियाँ .. मेरी प्यार को समझने की एक कोशिश मात्र है..
इस कविता के आशय से नही. ....इस कविता के लिए बस इतना ही कहूँगा ...
Beautiful Imagination In these Words.