गुलमोहर- सुनो…कविता सुनोगे?
अमलताश- रहने दो, बस तुम साथ रहो कुछ देर.....
गुलमोहर- (शरमाते हुए) तुम भी बस.…
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गुलमोहर- अच्छा बताओ तो ये एग्जिट पोल जो कह रहे हैं वो कितना सच है ?
अमलताश- पता नहीं
गुलमोहर- अच्छा नयी सरकार मे फूलों को महकने की आजादी तो होगी न?
अमलताश- (अनमना सा) पता नहीं
गुलमोहर- तुम नाराज हो क्या?
अमलताश- पता नहीं
गुलमोहर- हम्म्म, अच्छा कविता सुनोगे?
अमलताश- (शांत होते हुए) ठीक है.… सुनाओ
गुलमोहर- (खिलखिलाते हुए) 'तुम'
अमलताश- हा हा हा.… अच्छी कविता है. मेरे पास भी एक कविता है. सुनाऊँ?
गुलमोहर- हाँ
अमलताश- 'हम.…'
गुलमोहर- (शरमाते हुए) तुम भी बस.....
(दहकती दोपहरों की महकती बातें, शहर लखनऊ)
गुलमोहर- अच्छा बताओ तो ये एग्जिट पोल जो कह रहे हैं वो कितना सच है ?
अमलताश- पता नहीं
गुलमोहर- अच्छा नयी सरकार मे फूलों को महकने की आजादी तो होगी न?
अमलताश- (अनमना सा) पता नहीं
गुलमोहर- तुम नाराज हो क्या?
अमलताश- पता नहीं
गुलमोहर- हम्म्म, अच्छा कविता सुनोगे?
अमलताश- (शांत होते हुए) ठीक है.… सुनाओ
गुलमोहर- (खिलखिलाते हुए) 'तुम'
अमलताश- हा हा हा.… अच्छी कविता है. मेरे पास भी एक कविता है. सुनाऊँ?
गुलमोहर- हाँ
अमलताश- 'हम.…'
गुलमोहर- (शरमाते हुए) तुम भी बस.....
(दहकती दोपहरों की महकती बातें, शहर लखनऊ)
तस्वीर- मोबाइल क्लिक
2 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (15-05-2014) को बहुत शोर सुनते थे पहलू में दिल का { चर्चा - 1613 } (चर्चा मंच 1610) पर भी है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
खूबसूरत प्रस्तुति।।।
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