Saturday, August 19, 2017

वो देर से पहुंचा था लेकिन वक़्त पे पहुंचा



आपके सारे जन्मदिन हमारे ही जन्मदिन हैं न गुलज़ार साहब....कि चाँद पुखराज ही तो था जिसके एवज में आपका पहला रूमानी ख़त सा खत मेरे नाम का. वो कच्ची सी उमर में लफ़्ज़ों की नरमी को महसूसने की शुरुआत ही थी शायद. वो महसूसने के समन्दर में उतरने की अल्हड उमर थी और था चाँद पुखराज का. वो आपसे हुई पहली मुलाक़ात...कमरे के बाहर से झांकती दो कच्ची उमर की ख्व़ाब भरी आँखें थीं...जिनमें आपसे मिलने की ख्वाहिश थी, आपको एक नज़र देख लेने की चाहत. कैसी चहकती सी अदा में आपने इशारे से अंदर आने को कहा था....नायकीनी सा यकीन था...कि सामने गुलज़ार बैठे थे...मेरे वाले गुलज़ार, चाँद पुखराज वाले गुलज़ार, बल्लीमारान की गलियों का पता मुठ्ठियों में लिए घूमने वाले गुलज़ार और मुझे मेरे जीवन का पहला ख़त भेजने वाले पहले इन्सान गुलज़ार...मैं ज़ार-ज़ार रो रही थी..सिर्फ आंसू थे, हिचकियाँ थीं, सिसकियाँ थीं...और आप अपने शफ्फाक कुरते पाजामे में दोनों हाथ ऊपर उठाकर शायद कोई दुआ पढ़ रहे थे...जितना मैं रो रही थी उतना ही आप शुकराना कर रहे थे शायद. आप मुझे पानी पिला रहे थे...सर पर हाथ फेर रहे थे, चुप करा रहे थे...लेकिन मेरा रोना था कि सिमटने को न आता था...हालाँकि दिन सिमटने को आ पहुंचा था...

मिस कटियार अब चुप हो जाइए न...ऐसा ही कहा था आपने...और मेरी डायरी में एक शेर दर्ज किया था मेरे लिए...उसके बाद अगले दिन जब होटल ताज की लौबी में आपसे सामना हुआ था तो आपकी भीड़ को चीरती आवाज़ ने कहा था, ‘मिस कटियार, अब मत रोइयेगा’ और मैं और आप दोनों ही हंस दिए थे...वो लम्हे अब भी वैसे ही ताजे हैं...वक़्त के आले में वैसे ही सजे हुए हैं...

उसके बाद आपसे कई बार मिलना हुआ ऑस्कर वाली रात के ठीक पहले भी...वैलेंटाइन डे के रोज़ भी...आपका दिया पीला गुलाब अब भी सहेजा हुआ है, आपका वो मिस कटियार कहकर पुकारना अब भी कानों में मुस्कुराता है. हर मुलाकात में आपके हाथों से उर्दू में दर्ज एक शेर मेरे साथ रहता है...

आपके जन्मदिन पर मेरे दोस्त जब मुझे बधाई देते हैं तो लगता है कुछ ख़ास है मेरा और आपका रिश्ता...

सनसेट प्वाइंट की यह कहानी अब भी सुनती हूँ, तब भी सुनती थी जब कैसेट की रील घिसकर टूट जाया करती थी...जानते हैं मेरे घर की बालकनी भी सनसेट प्वाइंट ही है इन दिनों...

(18 अगस्त, एक क़तरा याद )

3 comments:

ANHAD NAAD said...

मेरे वाले गुलज़ार, चाँद पुखराज वाले गुलज़ार, बल्लीमारान की गलियों का पता मुठ्ठियों में लिए घूमने वाले गुलज़ार और मुझे मेरे जीवन का पहला ख़त भेजने वाले पहले इन्सान गुलज़ार..ख़त, गुलाब,सनसेट पॉइंट,मुलाकात,आवाज़ सब कुछ कितना सहेज के रखा है..जैसे आज की ही बात हो...ये एक कतरा याद नही हो सकती

सुशील कुमार जोशी said...

जन्मदिन पर शुभकामनाएं।

प्रतिभा सक्सेना said...

अच्छा है अपनी बलकनी में कभी सनसेट-प्वाइन्ट मिल जये तो....