-दिनेश कर्नाटक
कुछ दिनों पहले रूसी कवयित्री मारीना की Pratibha Katiyar द्वारा लिखी जीवनी स्टोरी टेल पर सुनी। सोच रहा था, जल्दी ही इसके असर से मुक्त हो जाऊंगा, लेकिन मारीना लगातार साथ बनी हुई है ठीक ऐसे जैसे वे जीवनीकार के साथ बचपन में पढ़ी कविताओं के रूप में बनी रही।
मारीना के जीवन को कैसे देखें ? एक ओर तो उसे उसकी लेखन के प्रति प्रतिबद्धता के रूप में देख सकते हैं, जहाँ वह निर्वासन में चरम कष्टों व अभावों के दौर में भी लेखन से मुँह नहीं मोड़ती। ऐसी कविताएँ लिखती हैं, जिन्हें उस दौर के बड़े लेखक बोरिस पास्तरनाक रिल्के को पढ़ने को भेजते हैं। दूसरा उसका जिया जीवन जिसमें वह अपने तरह से जीने की जिद के साथ जीये चली जाती है और खुद एक न भूलने वाले ऐसे किरदार के रूप में हमारे सामने आती है, जो प्रेम की तलाश में अतिरेकों से पूर्ण संबंध बनाती चलती है।
इस जीवनी को एक पश्चिमी महिला लेखिका की लेखन प्रक्रिया व चुनौतियों को समझने के लिए भी पढ़ सकते हैं। मारीना की जीवनी को एक ऐसे इंसान के जीवन संघर्ष के रूप में भी पढ़ा जा सकता है, जो अपने जीवन को आसान व सुविधाजनक बनाने के लिए दायें या बायें का हिस्सा बनने के बजाय सही का पक्ष चुनना पसंद करता है और इसकी कीमत चुकाता है।
सबसे बढ़कर मारीना की जीवनी को पढ़ते हुए हम दो विश्व युद्धों के बीच शोषण से मुक्ति और बराबरी के दावे के साथ हुई क्रांति की शत्रु समझे जाने वाली रूसी कवयित्री व लेखिका के साथ हुए शत्रुतापूर्ण व्यवहार को देख सकते हैं, जिसने अंततः उसके जीवन को नारकीय बनाते हुए उसे आत्महत्या को मजबूर किया। मारीना के जीवन से गुजरना सिर्फ एक कवयित्री के जीवन के त्रासदीपूर्ण जीवन से गुजरना नहीं इतिहास की अंधेरी तथा यातना पूर्ण लम्बी गली से गुजरना भी है।
1 comment:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर शुक्रवार 05 मई 2023 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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