'कैन आई ट्र्स्ट यू?' लड़की ने सकुचाते हुए पूछा.
'यस यू कैन.' लड़के ने अपने कंधे चौड़े करते हुए कहा.
ठीक उसी वक़्त पूरनमासी का चाँद छपाक से नीली नदी में कूद गया. समूची रात सुफेद फूलों की खुशबू से महक उठी.
लड़की की आँखें नम हो उठीं. यह प्रेम की दास्ताँ के सबसे उजले अक्षर थे.
इन्हीं की रौशनी में लड़की की जिन्दगी दिप दिप दिप दमकने लगी.
वक़्त सरकता गया.
न लड़की ने भरोसा करना छोड़ा न लड़के के कन्धों की चौड़ाई कम हुई है फिर भी लड़की इन दिनों उदास ही रहती है.
भरोसा करने और भरोसा न टूटने के बीच भी काफी उदासी रहती है.
4 comments:
Aaaaaah !
एक आत्म चिंतन और मनोवैज्ञानिक सोच की शाखों पर उपजती हैं ऐसी रचनाएं।
बहुत खूब। मजा आ गया पढ़ कर।
मेरी कुछ पंक्तियां आपकी नज़र 👉👉 ख़ाका
Keep on working, great job!
सुंदर रचना
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