जब हम प्यार करते हैं
तब यह नहीं कि
आकाश अधिक दयालु हो जाता है
या कि सड़कों पर
अधिक खुशी चलने लगती है
बस यही कि कहीं किसी बच्ची को
अपनी छत से उगता सूरज
और पड़ोस की बछिया देखना
अच्छा लगने लगता है
कहीं कोई भीड़ में बुदबुदाते होठों में
प्रार्थना लिए
एक जनाकीर्ण सड़क
सकुशल पार कर जाता है
कहीं कोई शांत मौन जल
कंकड़ से नही, अपने संगीत से
जगाता बैठा रहता है।
जब हम प्यार करते हैं
तो दुनिया को
छोटे-छोटे अंशों में सिद्ध करते हैं
और सुंदर भी, और समृद्ध भी...
हम वसंत को आसानी से काट देते हैं
और उसे एक ऐसे संयोग में गढ़ देते हैंजो
जो न ऋतुगान होता है न टहनियां
और न कोई स्पष्ट आकारन काव्य
और न फूलों, चिडिय़ों का कोई सिलसिला
हम उसे दुनिया के हाथों में फेंक देते है
और दुनिया जब तक उसे देखे-परखे
हम चल देते है
छिप जाते हैंऋतु में या काव्य में
या टहनियों के आकाश में...
अशोक वाजपेयी
तब यह नहीं कि
आकाश अधिक दयालु हो जाता है
या कि सड़कों पर
अधिक खुशी चलने लगती है
बस यही कि कहीं किसी बच्ची को
अपनी छत से उगता सूरज
और पड़ोस की बछिया देखना
अच्छा लगने लगता है
कहीं कोई भीड़ में बुदबुदाते होठों में
प्रार्थना लिए
एक जनाकीर्ण सड़क
सकुशल पार कर जाता है
कहीं कोई शांत मौन जल
कंकड़ से नही, अपने संगीत से
जगाता बैठा रहता है।
जब हम प्यार करते हैं
तो दुनिया को
छोटे-छोटे अंशों में सिद्ध करते हैं
और सुंदर भी, और समृद्ध भी...
हम वसंत को आसानी से काट देते हैं
और उसे एक ऐसे संयोग में गढ़ देते हैंजो
जो न ऋतुगान होता है न टहनियां
और न कोई स्पष्ट आकारन काव्य
और न फूलों, चिडिय़ों का कोई सिलसिला
हम उसे दुनिया के हाथों में फेंक देते है
और दुनिया जब तक उसे देखे-परखे
हम चल देते है
छिप जाते हैंऋतु में या काव्य में
या टहनियों के आकाश में...
अशोक वाजपेयी
7 comments:
great selection , hails to u
Jab ham pyar karte hai to duniya ko chote chote anshoo mein sidh karte hai.
Ashok Ji kavel prem ke hi kavi nahi hai. ve prem ke madhayam se ek nai samagikta ka nirman karte hai.
यहाँ आता हूँ और पढ़कर चुपचाप निकल जाता हूँ लेकिन आज कहूँगा कि.. बहुत बढ़िया !
बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुत की है जी!
बधाई!
WAAH .......... ATISUNDAR !!!
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
behtreeennnnnnn
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