जब गुजरना सहराओं से
गुनगुनाना नदियों और झरनों के गीत
जब गुजरना पथरीले ऊबड़ खाबड़ रास्तों से
गुनगुनाना हरियाली के, पगडंडियों के खेतों के गीत
जब अँधेरा बिगुल बजाये कान पर
तुम गुनगुनान रौशनी के गीत
जब जिन्दगी उदासियों की बाड़ लगाये
तुम गाना खिलखिलाहटों के गीत
जब मृत्यु हाथ थामे
तुम मुस्कुराना और गाना जिन्दगी के गीत.
कभी-कभी कोई सवाल न पूछकर भी
दी जा सकती है राहत
कभी कुछ न पूछकर भी और कभी
मौन रहकर भी
हमेशा साथ होने के लिए नहीं जरूरी होता
साथ में होना
कभी दूर रहकर भी दिया जा सकता है साथ
प्यार के लिए गले से लगाना ही काफी नहीं होता
कई बार लगाने पड़ते हैं थप्पड़
बकनी पड़ती हैं गलियां
और बनानी पड़ती है बेस्वाद चाय
दोस्त, सांत्वना से बचो
जब जरूरी लग रहा हो सांत्वना देना
कि सांत्वना से बड़ा दंश कोई नहीं.
तुम मुस्कुराना और गाना जिन्दगी के गीत.
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कभी-कभी कोई सवाल न पूछकर भी
दी जा सकती है राहत
कभी कुछ न पूछकर भी और कभी
मौन रहकर भी
हमेशा साथ होने के लिए नहीं जरूरी होता
साथ में होना
कभी दूर रहकर भी दिया जा सकता है साथ
प्यार के लिए गले से लगाना ही काफी नहीं होता
कई बार लगाने पड़ते हैं थप्पड़
बकनी पड़ती हैं गलियां
और बनानी पड़ती है बेस्वाद चाय
दोस्त, सांत्वना से बचो
जब जरूरी लग रहा हो सांत्वना देना
कि सांत्वना से बड़ा दंश कोई नहीं.
4 comments:
सुन्दर रचना
सांत्वना कई बार और द्रवित कर जाती है मन ...
सच कहा है इस रचना में ... लाजवाब ...
बेहतरीन प्रस्तुति।
आप जागरण लखनऊ से जुड़ी रहीं हैं?
सुंदर रचना।
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