Wednesday, March 15, 2017

खो चुका है अपने सारे रंग लोकतंत्र


ढेर सारे भ्रष्टों में किसी एक भ्रष्ट का चुनाव है लोकतंत्र
संविधान नाम की किताब का एक पन्ना है लोकतंत्र

बदलाव का एक सुपरहिट नारा है लोकतंत्र
बेईमान, हत्यारों, बलात्कारियों के आगे हारा है लोकतंत्र

सच्चाई और ईमानदारी की जमानत ज़ब्ती का ऐलान है लोकतंत्र
भीड़ को हांकने का साधा हुआ हुनर है लोकतंत्र

हुल्लड़बाज़ी और हंगामा है लोकतंत्र
जनता का फटा हुआ पाजामा है लोकतंत्र

छुटभैये नेताओं की सहालग है लोकतंत्र
मीडिया के पेट का राशन है लोकतंत्र

सुना तुमने? कहते हैं ईवीएम की कोई कारस्तानी है लोकतंत्र?
वैसे दिमागों को बरगलाने की शैतानी तो है ही लोकतंत्र

उंगली पर लगा एक गाढ़ा नीला निशान है लोकतंत्र
हालात के बद से बदतर होने जाने का प्रमाण है लोकतंत्र

इरोम की हार का शोकगीत है लोकतन्त्र
हत्यारे के चेहरे की कुटिल मुस्कान है लोकतंत्र।

खो चुका है अपने सारे रंग लोकतंत्र
अब तो बस एक बदरंग तस्वीर है लोकतंत्र

वोटर को उंगलियों  पर नचाने का खेल है लोकतंत्र
झूठ की चाशनी चटाने का नाम है लोकतंत्र

सुनो, सम्भल के इसे छूना, इसकी है बडी तेज़ धार
देश ही नहीं रिश्तों पर भी इसने किया है खूब प्रहार।

(अगड़म बगड़म )


4 comments:

kuldeep thakur said...

दिनांक 17/03/2017 को...
आप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंदhttps://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
आप की प्रतीक्षा रहेगी...

तरूण कुमार said...

इरोम की हार का शोकगीत है लोकतन्त्र
हत्यारे के चेहरे की कुटिल मुस्कान है लोकतंत्र।
सत्य वचन

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बढ़िया

प्रिया said...

😀