Saturday, November 20, 2021

इंतज़ार के गुलाब अब नहीं खिलते



मौसम गुलाबी था उन दिनों
जब तेरी याद के गुलाब खिलते थे
सर्दियों की आहट में
घुला होता था रंग   
सदियों पुराने तेरे इंतज़ार का

अब तू नहीं, तेरा इंतजार भी नहीं
अब नहीं खिलते तेरे इंतज़ार के गुलाब 
बस एक कतरा गुलाबी मौसम
लिपटकर बैठा है.

10 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार
    (21-11-21) को "प्रगति और प्रकृति का संघर्ष " (चर्चा - 4255) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  2. सुंदर सराहनीय रचना ।

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  3. वाह! कोमल शब्दों से सजी बहुत ही प्यारी बहुत सुंदर रचना

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  4. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 22 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. एहसासों में लिपटा सुंदर सृजन।

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  6. बहुत ही भावपूर्ण एहसास से सजी सुन्दर रचना।

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  7. बहुत ही सुंदर सृजन।
    सादर

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  8. बहुत बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन। Om Namah Shivay Images

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