Friday, April 26, 2024
बात कुछ बन ही गयी
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नींद वक़्त से पहले ही आ चुकी थी। हालांकि इन दिनों नींद से मेरे रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे हैं फिर भी सफर में मोहतरमा मेहरबान रहीं। मैंने आँख भर...
Wednesday, April 24, 2024
कसौली की खुशबू ने थाम लिया था...
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कसौली के उस छोटे से चर्च में बैठकर जैसे ही आँखें मूँदीं, एक रुकी हुई लंबी सिसकी का एक सिरा खुल गया था। आँखें बंद करने से डरती हूँ इन दिनों क...
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Monday, April 22, 2024
हाँ, हम फिर तैयार हैं
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पुराने घर की अंतिम मुसकुराती हुई तस्वीर आग का क्या है पल दो पल में लगती है बुझते-बुझते एक जमाना लगता है.... जाने कितनी बार सुनी यह गज़ल इन ...
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Friday, April 5, 2024
सब ठीक ही तो है
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न जाने किस से भाग रही हूँ. न जाने कहाँ जाने को व्याकुल हूँ. हंसने की कोशिश में न जाने क्यों आँखें छलक पड़ती हैं. बात करना चाहती हूँ लेकिन चु...
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Wednesday, March 6, 2024
उम्मीद
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एक रोज जरा सी लापरवाही से उम्मीद के जो बीज हथेलियों से छिटक कर बिखर गए थे सोचा न था कि वो इस कदर उग आएंगे और ठीक उस वक़्त थामेंगे हाथ जब मन ...
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