Sunday, December 6, 2020
उपक्रम
कोलाहल और शान्ति सब भीतर है
हम रचते हैं उसे तलाशने का उपक्रम बाहर...
2 comments:
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
December 6, 2020 at 6:35 PM
सार्थक रचना।
Reply
Delete
Replies
Reply
Onkar
December 7, 2020 at 8:04 AM
बहुत सुंदर
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
‹
›
Home
View web version
सार्थक रचना।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDelete