आसमान सरककर दो इंच और ऊंचा हो जाए
ताकि तुम्हारे डैने तैयार हों और ऊंची उड़ान को
समन्दर पुकारते हुए आये तुम्हारे पास
तुम्हारा बोसा लेने को उचककर कांधों तक आये
और तुम्हारे चुम्बन के मध्धम स्पर्श से
शांत होकर देखने लगे तुम्हें टुकुर-टुकुर
ईश्वर सिंहासन से उतरे
और तुम्हारे संग खेलने को आतुर हो उठे
तुमसे हारकर लूडो में
वह महसूस करे जीत से मीठा स्वाद
तुम्हारे सत्रहवें जन्मदिन पर
ख़्वाबों का कोई सैलाब घेर ले तुम्हें
और पंछियों का कोलाहल निबद्ध हो उठे
राग भैरवी में
फूलों पर मंडराते भंवरे, तितलियाँ
तुमसे सुनना चाहें सितारों की कहानियां
शरद मुस्कुराए, आये और रुक जाए
तुम्हारी हथेलियों पर रख दे
बेहतर दुनिया बनाने का हौसला
सूर्य मजबूत बनाये तुम्हारे कंधे
कि मनुष्यता को बचाए रखने उम्मीद
को सहेज सको तुम
पीले फूलों की कतारों से गूंजने लगे
बधाई के गान
तुम्हारी मुस्कुराहट ही हो कुदरत को
तुम्हारा दिया रिटर्न गिफ्ट
सत्रहवें जन्मदिन पर
तुम ले सको अपने तमाम ख्वाबों की बागडोर
खुद अपने हाथ में.
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteआपको जन्मदिन के साथ-साथ
गुरु नानक देव जयन्ती
और कार्तिक पूर्णिमा की भी हार्दिक शुभकामनाएँ।
बिटिया के जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं प्रतिभा जी,परमात्मा करें सफलता उसके क़दमों को चूमे और उसे जीवन की हर ख़ुशी मिलें
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर गीत जैसे "हर एक माँ की दिल से निकली दुआओं का गुलदस्ता"
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (1-12-20) को "अपना अपना दृष्टिकोण "'(चर्चा अंक-3902) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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कामिनी सिन्हा
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता....
ReplyDeleteप्रिय पुत्री को जन्मदिन की अशेष अनंत हार्दिक शुभकामनाएं 💝🌟⭐🎂⭐🌟💝
बिटिया की जन्म दिन पर असंख्य शुभकामनाएं व आशीर्वाद - - सुन्दर काव्यात्मक उपहार - - नमन सह।
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