- ज्योति नंदा
"अच्छा। क्या हुआ ? फिर वही , झूठ- मूठ सोने की एक्टिंग "
"नहीं नहीं ,कल मम्मा -पापा को बहुत डांट पड़ी.।
हा हा हा..... ऋषि की हंसी रुक ही नहीं रही थी। मां पापा को भी कभी डांट पड़ती है क्या ? उसने तो कभी देखा ही नहीं था कि माँ को कभी किसी ने डाटा ?
"हंस क्यों रहा है तू ?, रात को अचानक दादी दादू आ गए ,गाँव से, उन्होंने डांटा बड़ा मजा आया। " सुडूप्प ..की आवाज़ के साथ होठों को गोल बना कर नूडल्स खाती है।
क्यों"? मुश्किल से हंसी रोकते हुए ऋषि ने पूछा।
"मम्मा पापा एक कमरे में नहीं सोते इसीलिए और क्या?" उसने व्यंग किया जिस तरह उसे फ़िज़ूल की बातो पे डात पड़ती है वैसे ही दादा ने अपने बेटे को डाटा। मानो कोई रीत हो जो पीढ़ियों से चलती आ रही है। बेवजह बातो पे बड़ो का छोटों को डांटना।
ऋषि झल्लाया "ऐ तू चुतिया है क्या?"
"ऐ ऐ तू पागल , इडियट ,जबान संभाल अपनी न न पुन.. सक हकलाती ज़बान में नया शब्द बोला उसने।
"व्हाट व्हाट.....यु सैड"
तू गन्दी बात बोलेगा तो मै भी बोलूंगी ."
"अच्छा अच्छा ठीक है अब नहीं कहूँगा पलटवार होते ही ऋषि समझौते की मुद्रा में आ गया."पर तूने क्या बोला, न न ??? यह तो कुछ नया है , कहा से सीखी ?
"पता नहीं" अदिति चिढ गयी।
ऋषि समझ गया ज्यादा पूछना ठीक नहीं "अच्छा तू ही बोल अलग सोने के लिए डांट पड़ती है क्या "?
"कल मम्मा पापा मुझे सुलाने के बाद फिर से झगड़ने लगे"
'अरे वाह! बहुत दिनों के बाद तेरे मम्मा पापा ने फाइट की" ऋषि ने चटकारे लेकर कहा.उसकी आँखे चमक से और फ़ैल गयी. ऐसा कुछ जानने कि लालसा में जो वह अक्सर सुनना चाहता है.लेकिन क्यों ? ये वो नहीं जानता।
अदिति मायूसी से बोली "अब तो मम्मा पापा बात ही नहीं करते.बस मेरे पीछे पड़े रहते है,अदिति खाना खालो, नहा लो, पढ़ लो. पर कल फिर से लड़ने लगे" मुँह टेढ़ा कर बोली."हम दिवाली पर गाँव गए थे न वहा भी दादी मम्मा पर गुस्सा कर रही थी एक छोटा भइय्या चाहिए ही चाहिए"
ऋषि परेशां हो गया "अब यह कैसे आएगा "?
"ओहो बुद्धू तुझे कुछ नहीं पता.तेरे मम्मा पापा साथ नहीं रहते न इसीलिए.जब मम्मा पापा एक कमरे में सोते हैं तभी तो छोटा भैय्या आता है." ऋषि इस नए प्राप्त हुय ज्ञान को समझने की कोशिश में लगा हुआ था.
".घर में सबको छोटा भैय्या चाहिए.दादी दादू नानू नानी सबको. पर मम्मा ने बोला उन्हें नहीं चाहिए.पापा से कहा की एक ही बहुत है. जैसे चल रहा है चलने दो, नहीं तो कुछ भी नहीं बचेगा और न मैं बचाउंगी "
"क्या बचाना है?" ऋषि के मन में जाने कैसे कैसे ख्याल आ रहे थे क्या बचाना है अदिति की माँ को। कही वो कोई सीक्रेट एजेंट तो नहीं है? या फिर सुपर मैन वीमेन के भेष में? उन्हें दुनिया बचानी है।
"यह तो मुझे भी नहीं प.ता फिर पापा उठ कर दूसरे कमरे में चले गए. रात को दादी ,दादू आ गए अचानक और मम्मा पापा को खूब डांटा.मजा आया." ताली बजा कर हसने लगी."सब समझ रहे थे में सो रही हूं पर......ऋषि ने फिर छेड़ा।
"पर तू तो नंबर वन चोरनी है सब सुनती देखती रहती है" ऋषि ने चिढाया .अदिति ने आँखे तरेरी.
"मैं तो रात भर आराम से सोता हूँ अपनी मम्मा के साथ , फिर थोडा ठहरा, गहरी सांस ली "कभी कभी नानी आ जाती है बड़ बड करने लगती है.........
...........अच्छा हुआ तू अलग हो गयी,रात को चैन से सो तो लेती है.....कोई फिजूल की झिक झिक नहीं करता........बुढा तो ना जीने देता है न मरने.....".
"बुड्डा कौन ?"अदिति ब्रेड का टुकड़ा मुह तक ले जाते हुय रुकी.
"नाना और कौन" हा हा...दोनों ने ठहाके लगाये "तेरी मम्मा क्या बोलती है?"
"कुछ नहीं बस सिर के नीचे रखा तकिया कान पे ढँक कर सो जाती है.नानी बड़ बड़ करके चली जाती है".
टन टन टन ......"चल-चल टिफिन टाइम ख़त्म हो गया.तेरी बातें ही नहीं ख़त्म होती".ऋषि ने फटाफट टिफिन समेटा और क्लास की ओर दौड़ गया.अदिति भी बेमन से पीछे हो ली.
दूसरे दिन स्कूल में सुबह से ही अदिति कुछ कहने के लिए उतावली दिख रही थी। जी.के.और मोरल साइंस की साप्ताहिक क्लास में अदिति का कभी मन नहीं लगता था। आज तो बिलकुल भी नहीं.टीचर बड़ों का आदर और माता पिता के सम्मान का महत्तव समझा रही थी। अदिति इस इन्तजार में थी कि कब टन टन की आवाज आये. ऋषि उसका उतावलापन भांप गया."ऐ ,क्या बात है?" वह अदिति के कान में फुसफुसाया.
"झूठ नहीं बोलना चाहिए" टीचेर का स्वर गूंजा.
"मम्मा पापा से बहुत गुस्सा है बोल रही थी तुम हमेशा झूठ बोलते हो" अदिति भी फुसफुसाई .
तभी घंटी बज गयी सारे बच्चे मैदान की तरफ दौड़ पड़े.अदिति और ऋषि अब भी घर का, समाज का और किताबी नैतिकता का भेद समझने की कोशिश कर रहे थे.
"कल मम्मा ऑफिस से आने के बाद थक कर लेटी थी तब पापा ने उन्हें एन्रेर्जी ड्रिंक दिया .उसके बाद मम्मा मुझे बहुत प्यार करने लगी .और......ही ही ...ही...."अदिति मुह पर हाथ रख कर हसने लगी.ऋषि फिर झल्लाया " क्या है जल्दी बता."........खी खी ....और न...और और . मम्मा,पापा को भी प्यार कर रही थी.फिर पापा ने कहा अदिति तू दादी के पास सो जा। मैं नहीं जा रही थी लेकिन दादी और पापा ने बोला सन्डे फिल्म दिखायेंगे और आइसक्रीम खिलायंगे तो मैं चली गयी.""ऐ चटोरी" ऋषि ने फिर चिढाया.
"अरे सुन तो. में तो सुबह वापस मम्मा के पास ही थी"
'"अच्छा ! जादू क्या" ऋषि को मजा आने लगा था.
"मम्मा को तो कुछ भी याद नहीं था. फिर मैंने मम्मा को बताया की उन्होंने पापा की दी हुए एनेर्जी ड्रिंक पी थी तो वह पापा से फिर लड़ने लगी और रोने लगी "तुमने मेरा रेप किया है "
"यह रेप क्या होता है? वो जो टी वी की न्यूज़ में नाना नानी दिनभर सुनते रहते है। जब पूछता हूँ तो चैनल बदल देते है। "
वो होगी कोई मामी पापा के बीच की बात, छोड़ न ,.पर दादी ने पता है.... बताया कि...कि"
क्या ?"
"अब छोटा भइय्या आयेगा हमारे घर "
Wonderful goods from you, man. I have understand your stuff previous to and you are just too fantastic.
ReplyDeleteI really like what you've acquired here, really like what you're stating and
the way in which you say it. You make it entertaining and you still take care
of to keep it sensible. I cant wait to read far more from you.
This is actually a great site.
सटीक रचना
ReplyDeleteWhat's up, yup this piece of writing is really nice
ReplyDeleteand I have learned lot of things from it about blogging.
thanks.