Wednesday, August 18, 2010

जन्मदिन मुबारक गुलजार साब!

नाम सोचा ही न था, है कि नहीं
अमां कहके बुला लिया इक ने
ए जी कहके बुलाया दूजे ने
अबे ओ, यार लोग कहते हैं
जो भी यूं जिस किसी के जी आया
उसने वैसे ही बस पुकार लिया
तुमने इक मोड़ पर अचानक जब
मुझको गुल$जार कहके दी आवा$ज
एक सीपी से खुल गया मोती
मुझको इक मानी मिल गये जैसे
आह, यह नाम खूबसूरत है
फिर मुझे नाम से बुलाओ तो!

- गुलजार

9 comments:

  1. कैसे भी सख्त दिन हों ,ये नाम सदा भला लगता है ... जी.. को

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  2. jaisaa naam hai waisaa asar... jahan gulzaar sunaa wahin man surila saa ho jata hai

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  3. naam hi aisa hai..kuch galat ho hi nahi sakta..
    shukriya..!

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  4. गुलज़ार साहब को कितना भी पढ़ लें .....जी ही नहीं भरता

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  5. Naam Hi Gulzaar hai... registan main nakhalistan jaisa......

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  6. @ प्रतिभाजी
    क्या आपके पास गुलज़ार साहब की कविता "हमाली बोछकी" (हमारी बोस्की)होगी? मुझे पता चला है कि गुलज़ार साहब की पुस्तक "पुखराज" में यह कविता है।
    अगर आपके पास है तो कृपया मुझे भेजिए या अपने ब्लॉग पर प्रकाशित कर लिंक भेजिए। मैं आपका सदैव आभारी रहूँगा।
    sagarnahar @ gmail.com

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