नाम सोचा ही न था, है कि नहीं
अमां कहके बुला लिया इक ने
ए जी कहके बुलाया दूजे ने
अबे ओ, यार लोग कहते हैं
जो भी यूं जिस किसी के जी आया
उसने वैसे ही बस पुकार लिया
तुमने इक मोड़ पर अचानक जब
मुझको गुल$जार कहके दी आवा$ज
एक सीपी से खुल गया मोती
मुझको इक मानी मिल गये जैसे
आह, यह नाम खूबसूरत है
फिर मुझे नाम से बुलाओ तो!
- गुलजार
अमां कहके बुला लिया इक ने
ए जी कहके बुलाया दूजे ने
अबे ओ, यार लोग कहते हैं
जो भी यूं जिस किसी के जी आया
उसने वैसे ही बस पुकार लिया
तुमने इक मोड़ पर अचानक जब
मुझको गुल$जार कहके दी आवा$ज
एक सीपी से खुल गया मोती
मुझको इक मानी मिल गये जैसे
आह, यह नाम खूबसूरत है
फिर मुझे नाम से बुलाओ तो!
- गुलजार
कैसे भी सख्त दिन हों ,ये नाम सदा भला लगता है ... जी.. को
ReplyDeletejaisaa naam hai waisaa asar... jahan gulzaar sunaa wahin man surila saa ho jata hai
ReplyDeleteparul ne sahi kaha
ReplyDeletenaam hi aisa hai..kuch galat ho hi nahi sakta..
ReplyDeleteshukriya..!
गुलजार साहब को नमन
ReplyDeleteमैं परेशान हूँ--बोलो, बोलो, कौन है वो--
टर्निंग पॉइंट--ब्लाग4वार्ता पर आपकी पोस्ट
उपन्यास लेखन और केश कर्तन साथ-साथ-
मिलिए एक उपन्यासकार से
kalam ke shahan-shan tuze salaam...
ReplyDeleteगुलज़ार साहब को कितना भी पढ़ लें .....जी ही नहीं भरता
ReplyDeleteNaam Hi Gulzaar hai... registan main nakhalistan jaisa......
ReplyDelete@ प्रतिभाजी
ReplyDeleteक्या आपके पास गुलज़ार साहब की कविता "हमाली बोछकी" (हमारी बोस्की)होगी? मुझे पता चला है कि गुलज़ार साहब की पुस्तक "पुखराज" में यह कविता है।
अगर आपके पास है तो कृपया मुझे भेजिए या अपने ब्लॉग पर प्रकाशित कर लिंक भेजिए। मैं आपका सदैव आभारी रहूँगा।
sagarnahar @ gmail.com