Tuesday, July 23, 2024

मौसम बने हैं डाकिया



एक रोज लड़की ने रेगिस्तान में बोयी
इश्क़ की बारिश
पीले कनेर भर उठे बूंदों से
और धरती को लग गए पंख

एक रोज नदियों ने गुनगुनाए
कश्तियों के गीत
और मुसाफिरों ने जानबूझकर
गुमा दिये रास्ते

एक रोज दुनिया भर की सेनाओं ने
गुमा दिये सारे हथियार
और सरहदों पर उगाये
सफ़ेद फूल

एक रोज लड़के ने
लड़की के माथे पर टाँक दिया चुंबन
दुनिया सुनहरी ख्वाबों की आश्वस्ति से
भर उठी

एक रोज दुनिया भर की किताबें
प्रेम पत्रों में बदल गईं
और सारे मौसम बन गये डाकिये

इस दुनिया को ख़्वाब सा हसीन होना चाहिए....



6 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना

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  2. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना

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  3. वाह! बहुत खूबसूरत सृजन!

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  4. बहुत ही सुन्दर ...
    वाह!!!

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  5. काश ये प्रेम कथा यत्र यत्र सर्वत्र हो! गुम जाएं सभी सेनाओं के हथियार और सरहदों पर प्रेम के फूलों के अंतहीन उपवन हों! अभिनव रचना 👌👌👌🙏

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