Thursday, November 10, 2022

नवम्बर की कलाई पर प्यार


नवम्बर की अंजुरियों में
धूप खिलने लगी है
उम्मीद की शाखें भर उठी हैं
ख्वाबों से
मुसाफिर फिर से व्याकुल हैं
रास्तों से भटक जाने को
नीले पंखों वाली चिड़िया
मीर के दीवान से सर टिकाये बैठी है
मध्धम सी आंच पर
पक रहा है इंतज़ार
एक ज़िद है कि
झरने से पहले समेट लेनी है
लम्हों की ख़ुशबू
नवम्बर की कलाई पर
बांधना है प्यार. 

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