Friday, June 25, 2021

ख़्वाब जो बरस रहा है



कुछ रुकी हुई रुलाइयां हैं, कुछ भिंची हुई मुठ्ठियाँ हैं, कुछ रातों की जाग है कुछ बारिशों की भागमभाग है. कुछ ख़्वाब हैं अनदेखे से कोई खुशबू है बतियाती सी. कविताओं का पता नहीं लेकिन मन की कुछ गिरहें हैं जिन्हें कागज पर उतारकर जीना तनिक आसान करने की कोशिश भर है. ये 'ख़वाब जो बरस रहा है' ये आपको भी मोहब्बत से भिगो दे यही नन्ही सी इच्छा है.

दोस्तों और पाठकों का प्यार था जिसने हौसला दिया एक जगह सहेज देने का. मन एकदम भरा हुआ है. पलकें नम हैं. प्यार ऐसे ही तो भिगोता है.


6 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (२७-0६-२०२१) को
    'सुनो चाँदनी की धुन'(चर्चा अंक- ४१०८ )
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    ReplyDelete
  2. पुस्तक प्रकाशन के लिए अनंत बधाई।

    ReplyDelete
  3. सही कहा...बहुत सटीक...
    वाह!!!

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर

    ReplyDelete