Monday, April 5, 2021

वो न समझा है, न समझेगा...


सुबह में ढेर सारी रात अब तक घुली हुई है. शुष्क मौसम सुर्ख लिबास में दाखिल हुआ है. उसकी हथेलियों पर इन्द्रधनुष खिला हुआ है. जैसे फूलों में कोई होड़ हो खिलने की. रास्तों से गुजरते हुए मालूम होता है जैसे किसी ड्रीम सीक्वेंस में हों, पीले, गुलाबी, लाल फूलों से पटे पड़े रास्ते हवा के झोंकों के साथ उड़कर काधों पर आ बैठते हैं....हाँ हाँ...रास्ते फूलों के साथ एक अलग ही ठसक लिए.

भीतर का मौसम भी बदल रहा है. न जाने कितने पत्ते मन की शाखों से मुक्त हुए. अभी नयी कोपलों के फूटने की आहट तो कोई नहीं लेकिन कोई उदासी भी नहीं. भीतर कुछ बदलता हुआ महसूस कर रही हूँ. जिन चीज़ों को देख पगलाया करती थी अब सिर्फ मुस्कुरा देती हूँ. जिन बातों पर हफ़्तों सुबकना जारी रहता था अब उन बातों पर भी मुस्कुरा देती हूँ.

सुबह पंछियों की आवाजों पर कान टिकाये हुए चाय पीना मध्धम आंच पर पकता सुख है. इंतजार कोई नहीं... फरहत शहजाद गुनगुना रहे हैं...

वो न समझा है, न समझेगा, मगर कहना उसे...

(इश्क शहर, मॉर्निंग राग)

10 comments:


  1. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    06/04/2021 मंगलवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......


    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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  2. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
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    06/04/2021 मंगलवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
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    धन्यवाद

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  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (6-4-21) को "हार भी जरूरी है"(चर्चा अंक-4028) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    कामिनी सिन्हा

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  4. भीतर के मौसम का बेहतर होना यकीनन एक अच्छे एहसास से भर देता है जिसके बाद बाहर का मौसम अपने आप ही सुहाना लगने लगता है । बहुत अच्छा लगा पढ़कर ।

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  5. सुंदर प्रस्तुति

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  6. ये मोर्निंग राग भी बढ़िया है ...

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  7. भीतर का मौसम बदलना और मधुमास की अनुभूति ही जीवन का बसंत है । भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाएं🙏 🙏

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  8. बहुत ही सुंदर है, नमन

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