तुम साथ होती हो तो
आसमान झुक कर
करीब आ जाता है
काँधे से सटकर
बैठ जाती हैं उम्मीदें
बारिश की बूंदे
सिर्फ तुम्हारी खातिर
अटकी रहती हैं देर तक
पत्तों पर
तुम हो तो हर उम्मीद को
थाम लेने की जी चाहता है
तुम हो तो जीने को जी चाहता है.
जन्मदिन मुबारक प्यारी संज्ञा
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर मनभावन सृजन
सुंदर कविता। संज्ञा जी को जन्मदिवस की बधाई।
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