Tuesday, December 24, 2019

मारीना त्स्वेतायेवा इसी देश में


विश्व पुस्तक मेला 4 जनवरी से 12 जनवरी तक है। पिछले वर्ष इन्हीं दिनों हमने लगातार संवाद से आने वाली किताबों की सूचनाएं पाठकों को दी थीं। इस बार दो-एक किताबों को छोड़ कर सूचनाएं फेसबुक पर नहीं दी जा सकी हैं। हमारे ढेरों पाठकों के फोन और मैसेज आ रहे हैं।

संवाद से पिछले साल विश्व साहित्य और भारतीय साहित्य की 80 अत्यंत महत्वपूर्ण किताबें प्रकाशित हुई थीं। इस वर्ष भी 60 किताबों के प्रकाशन का लक्ष्य था। दरअसल पिछले तीन माह में स्वास्थ्य बहुत ठीक न होने के कारण काम में बार बार बाधा आती रही। एक बार तो ऐसा लगा कि इस बार पुस्तक मेले में भागीदारी नहीं हो सकेगी न ही नई पुस्तकों का प्रकाशन हो पाएगा। परंतु हमें यह बताते हुए संतोष है कि हम इस बार पुस्तक मेले में नई किताबों के साथ होंगे। हां, स्वास्थ्य व अन्य बहुत सारी बाधाओं और दबावों के चलते हम पूर्व-निर्धारित 60 में से मात्र 30 नई किताबें प्रकाशित कर पा रहे हैं। शेष किताबें मार्च से जून 2020 के बीच आएंगी।

इस कड़ी में पहली पुस्तक है रूस की महान कवयित्री मारीना त्वेतायेवा की एक बड़ी जीवनी। लगभग 300 पृष्ठों की इस जीवनी में मारीना का जीवन और वह पूरा समय जब रूस खलबला रहा था, मौजूद है। हिंदी की दुनिया ने लगभग तीस साल पहले मारीना से तब पहला परिचय पाया था जब रूसी भाषा के समर्पित और श्रेष्ठ अनुवादक श्री वरयाम सिंह ने उनकी कविताओं का एक संग्रह आएंगे दिन कविताओं के हिंदी में प्रकाशित करवाया था। उस संग्रह ने हिंदी कविता के पाठकों पर गहरी छाप छोड़ी थी। मारीना के साहित्य में हिंदी जगत में एक उत्सुकता पैदा हुई थी। बाद में वरयाम जी ने उनकी और भी कविताओं का अनुवाद व पत्रों का प्रकाशन करवाया। ये किताबें आधार प्रकाशन व प्रकाशन संस्थान से छपीं।

सो हिंदी पाठक मारीना से भली-भांति परिचित हैं, थोड़ा-बहुत उसके जीवन-संघर्ष से भी। संवाद से प्रकाशित हो रही यह जीवनी उन्हें मारीना के उस जीवन के पास ले जाएगी, जो इतिहास और कविता की संधिरेखा पर खड़ा था। रूस में क्रांति हुई थी। गृहयुद्ध, भूख, अव्यवस्था के बीच नया रूस जन्म लेने की पीड़ा झेल रहा था। मारीना का अपना जीवन संघर्ष इस इतिहास की बलि चढ़ गया। पर अपने पीछे वह बेहद खूबसूरत, आत्मीय, उज्ज्वल कविताएं छोड़ गई। ये वे कविताएं थीं, जिनके लिए एक जीवन जिया गया था…

प्रतिभा कटियार ने रचनात्मक ढंग से मारीना की जिंदगी को इन पन्नों में प्रस्तुत किया है।

-  आलोक श्रीवास्तव , संवाद प्रकाशन 

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