अपनी उन्मुक्त हंसी
दौड़ते भागते क़दमों की रफ़्तार
पार्टियों में लचकती कमर
और शोख अदाओं में
त्योहारों में मन जतन से शामिल होने
पकवानों को कभी खाते, कभी बनाने
दोस्तों के संग धौल-धप्पा करने
बेवजह की बातों में रूठ जाने
और फिर खुद ही मान जाने में
छुट्टे पैसे के लिए सब्जी वाले से झिक-झिक करने
और सिनेमा देखते वक़्त चुपके से रो लेने
कॉफ़ी की खुशबू में डूबने
और उतरते सूरज के संग मुस्कुराने में
सहकर्मियों संग करते हुए मजाक
या चुहलबाजियों में
वो आसानी से छुपा लेती हैंअपनी उदासियां
अभिनय कला में प्रवीण बनाता है जीवन स्त्रियों को. .
#worldtheatreday
दौड़ते भागते क़दमों की रफ़्तार
पार्टियों में लचकती कमर
और शोख अदाओं में
त्योहारों में मन जतन से शामिल होने
पकवानों को कभी खाते, कभी बनाने
दोस्तों के संग धौल-धप्पा करने
बेवजह की बातों में रूठ जाने
और फिर खुद ही मान जाने में
छुट्टे पैसे के लिए सब्जी वाले से झिक-झिक करने
और सिनेमा देखते वक़्त चुपके से रो लेने
कॉफ़ी की खुशबू में डूबने
और उतरते सूरज के संग मुस्कुराने में
सहकर्मियों संग करते हुए मजाक
या चुहलबाजियों में
वो आसानी से छुपा लेती हैंअपनी उदासियां
अभिनय कला में प्रवीण बनाता है जीवन स्त्रियों को. .
#worldtheatreday
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28.3.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3288 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
सुन्दर। उदासियाँ झाँकती भी हैं।
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन अब अंतरिक्ष तक सर्जिकल स्ट्राइक करने में सक्षम... ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteसहकर्मियों संग करते हुए मजाक
ReplyDeleteया चुहलबाजियों में
वो आसानी से छुपा लेती हैंअपनी उदासियां
अभिनय कला में प्रवीण बनाता है जीवन स्त्रियों को. .
बहुत ही सुन्दर. ...लाजवाब...
वाह!!!
सचमुच, जीवन में मिलने वाले कड़वे मीठे अनुभव अभिनय कला में प्रवीण बना देते हैं हमें।
ReplyDeleteवो आसानी से छुपा लेती हैंअपनी उदासियां
ReplyDeleteअभिनय कला में प्रवीण बनाता है जीवन स्त्रियों को
...जीवन के हर पल में जीवन ढूंढ ही लेती हैं स्त्रियाँ...बहुत सटीक और सारगर्भित अभिव्यक्ति...
वो आसानी से छुपा लेती हैंअपनी उदासियां
ReplyDeleteअभिनय कला में प्रवीण बनाता है जीवन स्त्रियों को.
बहुत सुन्दर...
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर. ...लाजवाब...
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