फागुनी खुशबू
आम की बौर की बौराहट के साथ
आवारगी के तमाम राग भेजे हैं
नीले पंखों वाली चिड़िया
की आवाज भेजी है
लड़कपन के तमाम सवाल भेजे हैं
साईकल की उतरी हुई चेन
और हाथों में सनी ग्रीस के निशान भेजे हैं
तुम्हारे पीछे भागने की मेरी इच्छा
और तुम्हारे ढूँढने पर छुप जाने के
शरारती खेल भेजे हैं
उतरती शाम के साए तले
अजनबी रास्तों में खो जाने के
ख्वाब भेजे हैं
तुम्हारी कलाई में रक्षा धागे की जगह
खुद को बाँध देने के ख्याल भेजे हैं
मोहब्बत भरे कुछ सलाम भेजे हैं
तुम्हारी उदास आवाज के नाम
कुछ पैगाम भेजे हैं
वाह बहुत खूबसूरत रचना ।
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 14 मार्च 2019 को प्रकाशनार्थ 1336 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
सुन्दर
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर कोमल सुकुमार रचना
ReplyDeleteबहुत लाजवाब रचना....
ReplyDeleteवाह!!!