हरसिंगार खिलने के महीने को अक्टूबर क्यों कहा गया होगा लड़की को पता नहीं लेकिन उसने हथेलियों में हरसिंगार सहेजते हुए हमेशा कुछ ताकीदें याद कीं जो इस मौसम में उसे दी गयी थीं. इसी मौसम में उसने आखिरी बार थामा था एक अजनबी हाथ, इसी मौसम में उसने निगाह भर देखा था उसे. शहर की सड़कों पर उन दोनों ने इसी मौसम में एक साथ कुछ ख़्वाब देखे थे. उन ख्वाबों में ही तय किया था एक वादा कि कोई वादा नहीं करेंगे एक दूसरे से. इसी मौसम में उँगलियों ने उँगलियों से दोस्ती की थी. निगाहों ने टकराकर दिशाएं बदलना सीखा था. यही तो था मौसम जब चाय पीने की शदीद इच्छा में खोजते फिरे थे चाय की कोई गुमटी और मिल जाने पर चाय इस कदर खोये रहे थे एक दूसरे में कि चाय ठंडी हो गयी थी रखे-रखे ही. इसी मौसम में उम्मीदों की ठेली लगाने की सोची थी दोनों ने और दरिया के पानी से वादा किया था कि पानी बचाए रखेंगे दरिया में भी और आँखों में भी.
इसी मौसम लड़की ने शरमाना सीखा था, शरमाना छोड़ा भी. इसी मौसम में लड़के ने उससे कहा था, अगर मुझे पाना है तो खुद को संभालना सीखो, उठना सीखो, अकेले चलना सीखो, मुश्किलों से लड़ना सीखो, धूप को सहना सीखो, काँटों से उलझना और खुद निकलना सीखो. उसने कहा अगर मुझे पाना है तो प्यार करो खुद को, संगीत के सुरों में धूनी जमाओ, रास्तों में भटकना सीखो. उसने कहा, अगर पाना है मुझे तो प्यास संभालना सीखो, बिन मौसम की बरसातों में भीगना सीखो, बिना धूप के सूखना सीखो. उसने कहा कि अगर जीना है प्यार में तो हर पल मरना सीखो, याद की तावीज़ गले में टांगकर मेरे बगैर ही मेरे होने को महसूस करना सीखो...
जब वो सब सीख गयी तो उसने पाया कि वो किसी और के संग जीना सीख चुका था...हरसिंगार झरे पड़े थे धरती पर...इसी मौसम में...
हरसिंगार टिकते क्यों नहीं होंगे पेड़ पर इस मौसम के जाने तक?
ReplyDeleteआपकी इस रचना ने शब्दों के साथ तैरना सिखाया है.
ReplyDeleteइतनी लाजवाब लगी की बताना भी गुन्हा.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-10-2018) को "ब्लॉग क्या है? " (चर्चा अंक-3119) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन डाकिया डाक लाया और लाया ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteबेहद उम्दा
ReplyDeleteअप्रतिम अप्रतिम अप्रतिम।
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी,अभिराम ।
वाह!!बहुत खूब !!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
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