ये तस्वीरें मेरी नहीं हैं, आशा की हैं. आशा जिस तक लेकर गए साथी रोहित रूसिया. छिंदवाड़ा के रोहित जी ,से परिचय हुआ 'क' से कविता के जरिये और बाद में उनके हुनर एक-एक कर श्रृखंलाबध्ध ढंग से सामने आते गए, उनके कविता पोस्टर, कविता पाठ, नाटक और उनका कलात्मक काम. यकीनन और भी बहुत कुछ.
उन्हीं के जरिये आरती रूसिया के काम को भी देखा और जाना. आरती आशा समूह का नेतृत्व करती हैं. आशा छिंदवाडा और उसके आस पास की आदिवासी स्त्रियों का समूह है जो करघे पर कपड़ा बुनने से लेकर हाथ की कारीगरी के जितने काम संभव हैं करता है. ये स्त्रियाँ आस पास के इलाकों में रहती हैं और आशा समूह में काम करती हैं.
मैं आशा कॉटन फेब की वेबसाईट पर हैण्डमेड साड़ियों को देखती रहती थी, एक रोज रोहित जी से अपनी पसंद की साड़ी की फरमाइश कर दी. रंग एकदम वैसा जैसा मुझे चाहिए, कपड़ा एकदम वैसा ही, उसमें डिजायन भी एकदम वैसी ही...इस तरह कभी कोई साड़ी या कोई भी चीज़ ली नहीं थी. मैं फरमाइश कर रही थी, मेरे सामने मेरी फरमाइश का बेस्ट ऑप्शन आ जाता. और इस तरह मेरी फरमाइशों को रोहित जी आरती जी और आशा समूह की साथियों के साथ मिलकर जो साड़ी बनवाकर मुझे भेजी वो है ये.
शुद्ध कॉटन, जिसका सूत हथकरघे पर बना है मिल में नहीं, वर्ली आर्ट जिसे आशा के साथियों ने अपने हाथों से साड़ी पर सजाया है ठीक उसी तरह जिस तरह मैं देहरादून में बैठकर सोच रही थी. साड़ी बनी, छिंदवाड़ा से चली और देहरादून में पैकेट खोलते ही लगा अरे, इतनी सुंदर...इतनी तो मैंने सोची नहीं थी. यह साड़ी दिखने में जितनी सुंदर है, इसका फैब्रिक महसूस करने में उतना ही नरम और आरामदायक.
रोहित जी, आरती जी और आशा के सभी साथियों को मेरा शुक्रिया कहियेगा. यह मेरी सबसे प्रिय साड़ियों में शामिल है... ASHA (Aid & Survival of Handicraft Artisan)
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तस्वीरें सुन्दर हैं और साड़ी भी आशा की।
ReplyDeleteकपडे जितने सुंदर उसके पीछे की भावना भी उससे सुंदर हैण्डमेड साड़ी में कलात्मक काम किया है आशा समूह रोहित जी व् आरती जी को हमारी हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (20-10-2018) को "मैं तो प्रयागराज नाम के साथ हूँ" (चर्चा अंक-3123) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर
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