Friday, February 13, 2015

आखिर ये किसका प्यार हैं...


ये किसके विरह में
जल उठे हैं पलाश के जंगल

ये किसकी उदासियों पर डाल देते हैं
शोख रंगों की चूनर

किसके इंतजार की खुशबू में
महकते रहते हैं दिन-रात

किसकी तलाश में
गुम रहते हैं बरसों बरस

आखिर किसकी मुस्कुराहटों का
इन्हें इंतजार है...

आखिर ये किसका प्यार हैं...


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