ये किसके विरह में
जल उठे हैं पलाश के जंगल
ये किसकी उदासियों पर डाल देते हैं
शोख रंगों की चूनर
किसके इंतजार की खुशबू में
महकते रहते हैं दिन-रात
किसकी तलाश में
गुम रहते हैं बरसों बरस
आखिर किसकी मुस्कुराहटों का
इन्हें इंतजार है...
आखिर ये किसका प्यार हैं...
Waaah Prtibha ji bahut sundar likha hai apne ......badhai
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति
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