जिस तरह देखता है कोई
खिड़की से झांकती हुई सड़क को
सड़क पे दौड़ती हुई गाड़ियों को
पड़ोसी के बगीचे में खिलते फूल को
या रास्ते में पड़े पत्थर को
देखना खुद को इस तरह जैसे
दूर से कोई देखता है नदी
उफक पे ढलता हुआ सूरज
या कैनवास पर बनी अधूरी कलाकृति
देखना खुद को इस तरह
जैसे दीवार पर टंगी कोई तस्वीर
कमरे में रखा हुआ सोफा
टेबल पर रखी हुई चाय
खिड़कियों पर पड़े पर्दे
देखना खुद को इस तरह जैसे
देखना ईश्वर को तमाम सवालों के साथ....
"देखना खुद को इस तरह"....बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत खूब ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव , अपने व खुद में भी तो ईश्वर हो सकता हैं , शायद इसलिए उसे खुदा भी कहते हैं ! आदरणीय धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
देखना खुद को इस तरह जैसे
ReplyDeleteदेखना ईश्वर को तमाम सवालों के साथ।
बहुत सुंदर।
बहुत खूब ... "खुद" भी तो इस्वर की ही एक कृति है ...
ReplyDeleteदेखना का संवेदनशील नजरिया। सुन्दर।
ReplyDeleteसुंदर रचना
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