Sunday, May 18, 2014

देश और समाज के खिलाफ प्रेम


उफ्फ्फ्फ़  ये झरझर झरती बेसबब मुस्कुराहटें
जब देखो खिलखिल खिलखिल
न इन्हें चिलचिलाती धूप की फिकर
न किसी तूफान का डर
न रात का पता न दिन की खबर
कहां से आ गये हैं ये लोग
किस दुनिया के हैं ये आखिर
इनका एजेंडा क्या है
इनकी राजनीति क्या है
सिर्फ एक-दूसरे को प्यार करना़?

क्या इन्हें नहीं पता कि
मोहब्बत जैसी फिजूल सी चीज में उलझने का वक्त नहीं है
क्या इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि
कि देश की तरक्की के मानक बदल रहे हैं
क्या इन्हें खेतों में उगी फसल
के खो जाने का डर नहीं है
जमीनों को जोर से पकड़ लेने को
बेताब क्यों नहीं हैं ये
हर वक्त हाथों में हाथ लिए
गंाव-गली मोहल्ले की सड़कें नापते रहते हैं

कोई पूछे इनसे कि क्या इन्हें भूख नहीं लगती
प्यास नहीं लगती
नींद नहीं सताती
थकते नहीं ये हंसते हुए
क्यों इनके जेहन से वेतन का कम होना
या इंक्रीमेंट की चिंता गायब है

ये तो समाज बागी लोग हैं
बेहद खतरनाक
इस तरह हंसते मुस्कुराते खिलखिलाते हुए
कितने लोगों को चिंता में डाल दिया है इन्होंने

कल तक ये हम जैसे ही थे
बात-बात पर चिढ़ने वाले
हर बात के लिए सरकार को, राजनीति को कोसने वाले
चाय की दुकानों पर बौद्धिकता झाड़ने वाले

और आज ये इन सबसे कितनी दूर हैं
बस अपनी ही दुनिया में खोये ये लोग
कभी आसमान में उड़ते हैं तो
कभी चांद पे जा बैठते हैं
समंदरों को इन्होंने हथेलियों में थाम रखा है
और मौसम...वो तो कबसे इनका साथ दे रहा है

ऐसे गुस्ताख लोगों की दुनिया को भला क्या जरूरत
जो अपनी ही दुनिया में खोए रहते हैं
और बाकी सबकी जलन का ईर्ष्या का कारण बने हुए हैं
ऐसे लोगों के बारे में या तो गंभीरता से सोचे जाने की जरूरत है
या उनके जैसा ही हो जाने की....


दो प्रेमी दुनिया के लिए...


प्रेमियों से बड़ा खतरा इस दुनिया को किसी से नहीं
इनकी मुस्कुराहटें चुनौती देती हैं दुनिया की तमाम सत्ताओं को
इनका आत्मविश्वास चूलें हिला कर रख देता है समाज की

इनका ये ख्वाब कि समूची धरती पर
प्रेम की फसल लहलहा उठे
और विश्व में वासना की नहीं प्रेम की संतानों का जन्म हो
कितना खतरनाक है जरा सोचिए

इनका ये यकीन कि एक रोज हर व्यक्ति
मानवता, इंसानियत, संवेदनाओं से छलक रहा होगा
एक-दूसरे का सम्मान और एक दूसरे से प्रेम करना
यही तरक्की के नये मानक होेंगे
ये कोई रूमानी यकीन नहीं है
इसमें राजनैतिक गंध है

इनके एजेंडे में है दुनिया की राजनीति की शक्ल बदल देना
तरक्की को पुलों और मॉल की संख्या से नहीं
समाज के हर व्यक्ति की थाली की रोटी
और चेहरे की मुस्कान से आंकना

इनके रूमान की खुशबू ने
न जाने कितनी विजयी पताकाओं को दरकिनार किया है
असलहों से लैस किसी आतंकवादी से ज्यादा खतरनाक है
आत्मविश्वास और मुस्कुराहटों से लबरेज प्रेमी

सत्ताएं जानती हैं ये सच सदियों से
इसलिए कटवाई जाती रही प्रेमियों की गर्दनें हर दौर में

लेकिन फीनिक्स की तरह हर बार अपनी ही राख से
दोबारा उग आने वाले ये प्रेमी
हमेशा कमजर्फ समाज के सामने चुनौती बनकर खड़े होते रहे...

4 comments:

  1. बहुत सुंदर कविताएँ - बिल्कुल मौलिक, अलग तरह की

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  2. बहुत सुंदर कविताएँ - बिल्कुल मौलिक, अलग तरह की

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  3. बहुत गहरी ... बागी हो जाना प्रेम की खातिर ..

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