Monday, August 5, 2013

तुम हो, न हो...




जो वादा दिया था तुमने 
चाय की आखिरी चुस्की के साथ 
वो चाय के प्यालों की तलहटी में
जा गिरा था, 

तुम हो, न हो 
हर शाम  दो प्याले होते हैं चाय के 

एक आसमान 
होता है सर पे 

और एक तलाश होती है 
चाय की प्यालियों की तलहटी में…

6 comments:

  1. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए बुधवार 07/08/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. यादें इस तरह साथ चला करती हैं !

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  3. बेहतरीन, हम इन्तजार करेंगे..

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  4. अति सुन्दर भावोँ की अभिव्यक्ति । बधाई । सस्नेह

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  5. खूबसूरत शब्दों का ताना-बाना बुना है चाय की दो प्यालियों के इर्द-गिर्द ...

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