कुछ जो नहीं बीतता
समूचा बीतने के बाद भी
आमद की आहटें नहीं ढंक पातीं
इंतजार का रेगिस्तान
बाद भीषण बारिशों के भी
बांझ ही रह जाता है
धरती का कोई कोना
बेवजह हाथ से छूटकर टूट जाता है
चाय का प्याला
सचमुच, क्लोरोफिल का होना
काफी नहीं होता पत्तियों को
हरा रखने के लिए...
बेवजह हाथ से छूटकर टूट जाता है
ReplyDeleteचाय का प्याला
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ReplyDeleteहम तो क्लोरोफिल को यह गुण देने वाले को पूजते हैं।
ReplyDeleteक्या बात है | बहुत सुन्दर शब्दावली से सजी रचना | आभार | अत्यंत सुन्दर और भावपूर्ण रचना |
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