Friday, June 22, 2012

सौन्दर्य


जबसे समझ लिया सौन्दर्य का असल रूप
तबसे उतार फेंके जेवरात सारे
न रहा चाव, सजने सवरने का
न प्रशंसाओं की दरकार ही रही
नदी के आईने में देखी जो अपनी ही मुस्कान
तो उलझे बालों में ही संवर गयी
खेतो में काम करने वालियों से
मिलायी नजर
तेज़ धूप को उतरने दिया जिस्म पर
न, कोई सनस्क्रीन भी नहीं.
रोज सांवली पड़ती रंगत
पर गुमान हो उठा यूँ ही
तुम किस हैरत में हो कि
अब कैसे भरमाओगे तुम हमें...

12 comments:

  1. वाह जबरदस्त भाव असली सौंदर्य सीरत में है मन की निर्मलता में है परिश्रम से फल साधने में है कई बार रह में कुछ मंजर कुछ लोग हमे अच्छी सीख दे जाते हैं

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  2. कुदरती सौन्दर्य है, धूप और पसीने का।

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    उम्दा लेखने, बेहतरीन अभिव्यक्ति


    चलिए
    हिडिम्बा टेकरी



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    ♥ पहली बारिश में गंजो के लिए खुशखबरी" ♥


    ♥सप्ताहांत की शुभकामनाएं♥

    ब्लॉ.ललित शर्मा
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  4. बिना साज श्रंगार का सौन्दर्य ही तो वास्तविक होता है जो मेहनत की धूप मे ही निखरता है ।

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  5. क्या सच में ये असली सौंदर्य हैं ?

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  6. कौन किसी को समझाए कि यही तो है असली सौन्दर्य |

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  7. नदी के आईने में देखी जो अपनी ही मुस्कान
    तो उलझे बालों में ही संवर गयी

    ....अद्भुत भाव ....बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  8. एक दोस्त ने बताया कि आप अच्छा लिखती हैं और आप उनसे मिल भी चुकी हैं तो गूगल सर्च मारा.. और देखा सचमुच आप निश्छलता से लिखती हैं..

    ऐसे भाव मन में आना आखिर क्या दर्शाता है भला!!

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  9. कभी कभी खुद पर गर्व हो जाता है ...केवल आपकी वजह से ...

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