Sunday, September 18, 2011

तेरे अलावा याद हमें सब आते हैं -शहरयार


वो अक्सर हमसे नाराज रहते हैं. वो हर ख़ुशी में हमें शामिल करते हैं, गम में क्यों नहीं करते. क्यों नहीं छूने देते अपनी तन्हाई. शायर शहरयार को अवार्ड मिलना तो बहाना है उन्हें याद करने का. क्योंकि दिल जानता है कि कुछ लोग अवार्ड्स वगैरा से बहुत ऊपर निकल जाते हैं...उनकी दुआओं को अपनी पलकों पर उठाते हुए आज अपने जीवन की इस गाढ़ी कमाई पर फख्र होता है.- प्रतिभा 


ऐसे हिज्र के मौसम अब कब आते हैं
तेरे अलावा याद हमें सब आते हैं 


जज़्ब करे क्यों रेत हमारे अश्कों को
तेरा दामन तर करने अब आते हैं 

अब वो सफ़र की ताब नहीं बाक़ी वरना
हम को बुलावे दश्त से जब-तब आते हैं 

जागती आँखों से भी देखो दुनिया को
ख़्वाबों का क्या है वो हर शब आते हैं 

काग़ज़ की कश्ती में दरिया पार किया
देखो हम को क्या-क्या करतब आते हैं.

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किया इरादा बारहा तुझे भुलाने का
मिला न उज़्र ही कोई मगर ठिकाने का 

ये कैसी अजनबी दस्तक थी कैसी आहट थी
तेरे सिवा था किसे हक़ मुझे जगाने का 

ये आँख है कि नहीं देखा कुछ सिवा तेरे
ये दिल अजब है कि ग़म है इसे ज़माने का 

वो देख लो वो समंदर ख़ुश्क होने लगा
जिसे था दावा मेरी प्यास को बुझाने का 

ज़मीं पे किस लिये ज़ंजीर हो गये साये
मुझे पता है मगर मैं नहीं बताने का....

11 comments:

  1. वो देख लो वो समंदर ख़ुश्क होने लगा
    जिसे था दावा मेरी प्यास को बुझाने का
    waah

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  2. खूबसूरत.....वल्लाह!!

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  3. जिस तरह दो हज़ार शेर कह कर ग़ालिब हमारे दिल पर राज़ करते हैं, वैसा ही हाल फैज़ और शहरयार साहब का भी है. असीम शुभकामनाये.

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  4. bahut hi khoobsurat andaz_e_ byan shaheryar sb k liye

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  5. ऐसे हिज्र के मौसम अब कब आते हैं
    तेरे अलावा याद हमें सब आते हैं....

    Bahut khub..Came first time on your blog..Loved it!

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  6. क्या कहने, बहुत सुंदर

    अब वो सफ़र की ताब नहीं बाक़ी वरना
    हम को बुलावे दश्त से जब-तब आते हैं

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  7. प्रतिभा कटियार जी<
    नमस्कार,
    आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|

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  8. Shaharayar ki yaaden....wakai tere alawa yad hame sab aate hain...aishe hizr ke mausham kab kab aate hain..?
    bohot badhiya!

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