आज मेरे महबूब शायर साहिर लुधियानवी का जन्मदिन है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस भी. जबरन चुरायी गयी फुर्सत के चंद लम्हों में साहिर को पढ़ते हुए खुद को महसूस किया...
आओ कि कोई ख़्वाब बुनें कल के वास्ते
वरना ये रात आज के संगीन दौर की
डस लेगी जान-ओ-दिल को कुछ ऐसे कि जान-ओ-दिल
ता-उम्र फिर न कोई हसीं ख़्वाब बुन सकें
गो हम से भागती रही ये तेज़-गाम उम्र
ख़्वाबों के आसरे पे कटी है तमाम उम्र
ज़ुल्फ़ों के ख़्वाब, होंठों के ख़्वाब, और बदन के ख़्वाब
मेराज-ए-फ़न के ख़्वाब, कमाल-ए-सुख़न के ख़्वाब
तहज़ीब-ए-ज़िन्दगी के, फ़रोग़-ए-वतन के ख़्वाब
ज़िन्दाँ के ख़्वाब, कूचा-ए-दार-ओ-रसन के ख़्वाब
ये ख़्वाब ही तो अपनी जवानी के पास थे
ये ख़्वाब ही तो अपने अमल के असास थे
ये ख़्वाब मर गये हैं तो बे-रंग है हयात
यूँ है कि जैसे दस्त-ए-तह-ए-सन्ग है हयात
आओ कि कोई ख़्वाब बुनें कल के वास्ते
वरना ये रात आज के संगीन दौर की
डस लेगी जान-ओ-दिल को कुछ ऐसे कि जान-ओ-दिल
ता-उम्र फिर न कोई हसीं ख़्वाब बुन सकें.
इन जैसा न हुआ है न दूसरा होगा...साहिर साहिर हैं...
ReplyDeleteनीरज
waah... shukriyaa yaad dilane ke liye
ReplyDeleteअभी ज़िन्दा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ खलवत में, कि अब तक किस तमन्ना के सहारे जी लिया मैंने... वाह ! साहिर.
ReplyDeleteमहबू्ब शायर,तुम्हारे नगमें ताजि्न्दगी गाते रहेगें हम।
ReplyDeleteउर्दू पर खास पकड़ नहीं पर फिर भी पढ़ने में अच्छी लगीं।
ReplyDeleteसाहिर को जन्मदिन की बधाई। महिला दिवस पर सभी को शुभकामनाएं..
ReplyDeleteacchaa lega ke sahir mehboob hain abhi
ReplyDelete:)
aage bhi jane na tu, pichhe bhi jane na tu, jo bhi hai, bas yahi ek pal hai.
ReplyDeletesahir sahab yakinan lazavab the. unke jaisa na pehele kabhi hua aur na hi hoga.
मुझे भी साहिर लुधियानवी बहुत पसंद हैं :-)
ReplyDeleteMy favorite lines:
मुझसे अब मेरी मोहब्बत के फ़साने न पूछो मुझको कहने दो के मैंने उन्हें चाहा ही नहीं
और वो मस्त निगाहें जो मुझे भूल गईं मैंने उन मस्त निगाहों को सराहा ही नहीं!