एक याद
सपने की मानिंद
उतरती है
रोज पलकों में,
नींद की चाप
सुनते ही
पंखुड़ी सी खुलने लगती है
आंखों में
रात भर गुनगुनाती है
मिलन के गीत,
दिखाती है सुंदर सपने
जिनमें होते हैं
न धरा, न आकाश
न फूल कोई, न मौसम
न पहाड़, न नदियां
बस एक टुकड़ा मैं
और एक टुकड़ा तुम.
हर सुबह
मैं इसे ख्वाब का
नाम देती हूं.
- प्रतिभा
रात भर गुनगुनाती है
ReplyDeletebehtreen rachna..
अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं....सुन्दर रचना है।बधाई।
ReplyDeleteवाह...क्या भावाभिव्यक्ति है....
ReplyDeleteकोमल भावों को इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति दी है आपने कि सहज ही वह पाठक मन के स्पर्श में समर्थ है...
बहुत ही सुन्दर रचना...वाह !!!
bhavon aur shabdon ka anootha jod hai rachna mein.
ReplyDeleteरोज पलकों में,
ReplyDeleteनींद की चाप
सुनते ही
पंखुड़ी सी खुलने लगती है
सुन्दर दृश्यांकन किया है
वाकई ख्वाब तो ऐसे ही आती है.
बस एक टुकड़ा मैं
ReplyDeleteऔर एक टुकड़ा तुम.
हर सुबह
मैं इसे ख्वाब का
नाम देती हूं
प्रतिभा जी बहुत सुन्दर रचना है बधाई
बाद दिनों के, मगर अद्भुत है. इसे मैं ख्वाब का नाम देती हूँ...
ReplyDeleteन धरा, न आकाश
ReplyDeleteन फूल कोई, न मौसम
न पहाड़, न नदियां
बस एक टुकड़ा मैं
और एक टुकड़ा तुम.
हर सुबह
मैं इसे ख्वाब का
नाम देती हूं.
bahut sundar bav liye bahut acchi rachana..!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
सपनो वपनो का चक्कर जाने दो काम करो काम .. खजूर लगाने से फल नही मिल्रता
ReplyDeletebehtreen!
ReplyDeleteप्यारी सी कविता के लिए बधाई...मै रोज
ReplyDeleteइसे चुपके से आकर पढ़ कर लौट जाती हूँ.
रोज सुबह किसी की याद को ख्वाब का नाम देना कितना
सुन्दर अहसास है.
adbhut kavita ke liye pratibhaji badhaie.jai krishna rai tushar allabhad
ReplyDeleteअदभुत ! चुस्त कविता ! भाव सज गये हैं खूबसूरती से ।
ReplyDeleteआभार ।
dilchasp ati dilchasp
ReplyDeleteSunder
ReplyDeleteसुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
ReplyDeleteअगर खवाब देख रही हैं तो जरूर पूरे होंगे
ReplyDeleteहम सपने देखते ही इसीलिए
देखती रहें लिखती रहें