यूं ही
कोई उसके सिरहाने
उम्मीदों की
एक शाख छोड़ जायेगा,
यूं तो
कुछ भी नहीं बदलेगा
लेकिन सच में
सब कुछ बदल जायेगा।
नदी के किनारे से उगे आज के सूरज में नये साल की मासूमियत भी है और ढेर सारा उत्साह भी. जैसे इसकी किरणें छू-छूकर हमें पूरे जोश के साथ खड़ा होने की ताकीद कर रही हैं. कह रही हैं कि सिर्फ कैलेण्डर को मत बदलो, अपनी तकदीर भी बदल लो. हर वो खुशी का लम्हा जो तुम्हारा हो सकता था, किन्हीं कारणों से कहीं अटक गया, इस बरस वो लम्हा खींचकर अपने करीब कर लो. मुंह मोडऩा है तो क्यों न उन चीजों से मोड़ा जाए जो परेशान करती हैं।
जाने कैसी फितरत होती है हम सबकी, जो चीजें ज्यादा परेशान करती हैं उन्हें ही हम सबसे ज्यादा याद करते हैं, अपने करीब आने देते हैं. इस बरस ऐसा कुछ भी नहीं होने देना है. जब उम्मीदों का समंदर हमारे चारों ओर लहरा रहा हो तो क्यों न हम इसमें से आशा के मोती चुनें. पार्टी, मस्ती, धूम धड़ाका इन सबके $जरिये भी आता है नया साल बहुतों की जिंदगी में. इनकी अपनी अहमियत है लेकिन एक झुग्गी के बाहर लगे गुब्बारे और अंदर से उठता शोर ज्यादा रोमांचित करता है. किसी भी फाइव स्टार होटल में हुई न्यू इयर की पार्टी से किसी भी मायने में कम नहीं होती यहां की पार्टी. एक टाइम का पूरा खाना बनता है, भरपेट खाने को मिलता है, कुछ मीठा भी।
अगले साल ज्यादा कमाई करके पड़ोसी के यहां टीवी न देखने पड़े इसलिए अपना टीवी खरीदने का रिजोल्यूशन है यहां. ये सब नये साल के चलते है. बागीचों में खिले फूलों की एक-एक पंखुरी मानो मुस्कुराकर कह रही है, अब तो कर लो दुनिया मुट्ठी में, अब तो भर लो आसमान को बाहों में, अब तो निकाल सको वक्त किसी के दामन से दर्द को पोंछकर मुस्कान सजाने का. क्या सारी ख्वाहिशें सिर्फ डायरी में रखी रह जायेंगी. ये एक अलार्म है जो हर बारह महीने बाद हमारे लिए बजता है. रोजमर्रा की जिंदगी में वो ढेर सारे काम जो हम दिल से करना चाहते थे कर नहीं पाये, उनकी याद दिलाने का. वो बातें जिन्हें हम कह नहीं पाये, उन्हें कह सकने की हिम्मत दिलाने का, वो अहसास जिन्हें महसूस करते हुए हम घबराते रहे और जो लगातार हमारा पीछा करते रहे, उनसे रू-ब-रू होने का, वो सपने जिन्हें देखते आंखें घबराती थीं उन्हें पलकों में सजाने का।
कहते हैं कि दुनिया वैसी ही दिखती है जैसी हम उसे देखना चाहते हैं. तो क्यों न हम इसे पॉजिटिव विजन से देखें. जो नहीं है वह देखने की बजाय जो है उसे देखें और जो नहीं है उसे हासिल करने के प्रति कटिबद्ध हों. दुनिया अच्छे लोगों से भरी पड़ी है, अच्छी चीजों की कमी भी नहीं है यहां फिर भी जाने क्यों और क्या तलाशते फिरते हैं सब. अरसा हो गया एक फुरसत का लम्हा खुद के साथ बिताये, इस नये साल में क्यों न यह काम भी कर लिया जाए. क्यों न इस नये साल में ख्वाबों को छूट देकर देखा जाए. चिडिय़ा, नदी, पेड़ होकर देखा जाए. वो सब करने की कोशिश की जाए जो दिल में है, जिसके लिए कभी वक्त ही नहीं मिला. करियर की आपाधापी और परिवार की जिम्मेदारियां निभाते हुए अपना-अपना जो हिस्सा हमसे कहीं छूट गया क्यों न उस हिस्से को सहेजा जाए. खुश रहा जाए. खुश रहने की ढेरों वजहें हमारे आस-पास हैं लेकिन हम न जाने क्यों उदासी को ओढ़े घूमते हैं. क्यों न इस बार इस नये साल में उदासी, अपने भीतर की एक अनमनी सी चिढ़, झुंझलाहट को विदा किया जाए. हो सकता है ऐसा करते ही हम मुस्कुराहटों, खिलखिलाहटों के लिए जगह बना सकें. हो सकता है इस तरह जीने के बाद यह नया साल जब पुराना होकर हमारे सामने आये तो हमें बेहद अ$जीज लगे।
सबको नया साल मुबारक!
- प्रतिभा
कोई उसके सिरहाने
उम्मीदों की
एक शाख छोड़ जायेगा,
यूं तो
कुछ भी नहीं बदलेगा
लेकिन सच में
सब कुछ बदल जायेगा।
नदी के किनारे से उगे आज के सूरज में नये साल की मासूमियत भी है और ढेर सारा उत्साह भी. जैसे इसकी किरणें छू-छूकर हमें पूरे जोश के साथ खड़ा होने की ताकीद कर रही हैं. कह रही हैं कि सिर्फ कैलेण्डर को मत बदलो, अपनी तकदीर भी बदल लो. हर वो खुशी का लम्हा जो तुम्हारा हो सकता था, किन्हीं कारणों से कहीं अटक गया, इस बरस वो लम्हा खींचकर अपने करीब कर लो. मुंह मोडऩा है तो क्यों न उन चीजों से मोड़ा जाए जो परेशान करती हैं।
जाने कैसी फितरत होती है हम सबकी, जो चीजें ज्यादा परेशान करती हैं उन्हें ही हम सबसे ज्यादा याद करते हैं, अपने करीब आने देते हैं. इस बरस ऐसा कुछ भी नहीं होने देना है. जब उम्मीदों का समंदर हमारे चारों ओर लहरा रहा हो तो क्यों न हम इसमें से आशा के मोती चुनें. पार्टी, मस्ती, धूम धड़ाका इन सबके $जरिये भी आता है नया साल बहुतों की जिंदगी में. इनकी अपनी अहमियत है लेकिन एक झुग्गी के बाहर लगे गुब्बारे और अंदर से उठता शोर ज्यादा रोमांचित करता है. किसी भी फाइव स्टार होटल में हुई न्यू इयर की पार्टी से किसी भी मायने में कम नहीं होती यहां की पार्टी. एक टाइम का पूरा खाना बनता है, भरपेट खाने को मिलता है, कुछ मीठा भी।
अगले साल ज्यादा कमाई करके पड़ोसी के यहां टीवी न देखने पड़े इसलिए अपना टीवी खरीदने का रिजोल्यूशन है यहां. ये सब नये साल के चलते है. बागीचों में खिले फूलों की एक-एक पंखुरी मानो मुस्कुराकर कह रही है, अब तो कर लो दुनिया मुट्ठी में, अब तो भर लो आसमान को बाहों में, अब तो निकाल सको वक्त किसी के दामन से दर्द को पोंछकर मुस्कान सजाने का. क्या सारी ख्वाहिशें सिर्फ डायरी में रखी रह जायेंगी. ये एक अलार्म है जो हर बारह महीने बाद हमारे लिए बजता है. रोजमर्रा की जिंदगी में वो ढेर सारे काम जो हम दिल से करना चाहते थे कर नहीं पाये, उनकी याद दिलाने का. वो बातें जिन्हें हम कह नहीं पाये, उन्हें कह सकने की हिम्मत दिलाने का, वो अहसास जिन्हें महसूस करते हुए हम घबराते रहे और जो लगातार हमारा पीछा करते रहे, उनसे रू-ब-रू होने का, वो सपने जिन्हें देखते आंखें घबराती थीं उन्हें पलकों में सजाने का।
कहते हैं कि दुनिया वैसी ही दिखती है जैसी हम उसे देखना चाहते हैं. तो क्यों न हम इसे पॉजिटिव विजन से देखें. जो नहीं है वह देखने की बजाय जो है उसे देखें और जो नहीं है उसे हासिल करने के प्रति कटिबद्ध हों. दुनिया अच्छे लोगों से भरी पड़ी है, अच्छी चीजों की कमी भी नहीं है यहां फिर भी जाने क्यों और क्या तलाशते फिरते हैं सब. अरसा हो गया एक फुरसत का लम्हा खुद के साथ बिताये, इस नये साल में क्यों न यह काम भी कर लिया जाए. क्यों न इस नये साल में ख्वाबों को छूट देकर देखा जाए. चिडिय़ा, नदी, पेड़ होकर देखा जाए. वो सब करने की कोशिश की जाए जो दिल में है, जिसके लिए कभी वक्त ही नहीं मिला. करियर की आपाधापी और परिवार की जिम्मेदारियां निभाते हुए अपना-अपना जो हिस्सा हमसे कहीं छूट गया क्यों न उस हिस्से को सहेजा जाए. खुश रहा जाए. खुश रहने की ढेरों वजहें हमारे आस-पास हैं लेकिन हम न जाने क्यों उदासी को ओढ़े घूमते हैं. क्यों न इस बार इस नये साल में उदासी, अपने भीतर की एक अनमनी सी चिढ़, झुंझलाहट को विदा किया जाए. हो सकता है ऐसा करते ही हम मुस्कुराहटों, खिलखिलाहटों के लिए जगह बना सकें. हो सकता है इस तरह जीने के बाद यह नया साल जब पुराना होकर हमारे सामने आये तो हमें बेहद अ$जीज लगे।
सबको नया साल मुबारक!
- प्रतिभा
नव वर्ष की मंगल कामनाएँ!
ReplyDeleteआपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.
ReplyDeleteसुख आये जन के जीवन मे यत्न विधायक हो
सब के हित मे बन्धु! वर्ष यह मंगलदयक हो.
(अजीत जोगी की कविता के अंश)
हमें पॉजीटिव विजन रखना चाहिए .. आपके और आपके परिवार के लिए नया वर्ष मंगलमय हो !!
ReplyDeleteआपके और आपके परिवार के लिए नया वर्ष मंगलमय हो !!
ReplyDeleteआपको भी नव वर्ष मंगलमय हों
ReplyDeleteलाजवाब...उत्साहवर्धक...जीना है तो हंस के जियो..जीवन में एक पल भी रोना न......जय हो...!
ReplyDeleteSach agar log isse samjh saken to jindgi kitni aasan ho jaegi. bahut sahi baat bande hue dhang se prastut kiya hai aapne.
ReplyDeleteAapko bhi naya saal mubarak ho.
ReplyDeleteआप एवं आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteसादर
समीर लाल
आपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteनये वर्ष की शुभकामनाओं सहित
ReplyDeleteआपसे अपेक्षा है कि आप हिन्दी के प्रति अपना मोह नहीं त्यागेंगे और ब्लाग संसार में नित सार्थक लेखन के प्रति सचेत रहेंगे।
अपने ब्लाग लेखन को विस्तार देने के साथ-साथ नये लोगों को भी ब्लाग लेखन के प्रति जागरूक कर हिन्दी सेवा में अपना योगदान दें।
आपका लेखन हम सभी को और सार्थकता प्रदान करे, इसी आशा के साथ
डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
जय-जय बुन्देलखण्ड