Sunday, September 27, 2009

क्रांति- भगत सिंह (जन्मदिन पर )

जब गतिरोध की स्थिति
लोगों को अपने शिकंजे में
जकड़ लेती है
तो वे किसी भी प्रकार की
तब्दीली से हिचकते हैं,
इस जड़ता और निष्क्रियता
को तोडऩे के लिए
एक क्रांतिकारी स्पिरिट की
$जरूरत होती है
इस परिस्थिति को बदलने के लिए
यह $जरूरी हैकि क्रंाति की स्पिरिट
ताजा की जाए ताकि
इंसानियत की रूह में
हरकत पैदा हो।
(असेम्बली में बम फेंकने के बाद अदालत ने जब भगतसिंह से पूछा कि क्रांति क्या है,
तब उन्होंने इस कविता के ज़रिये क्रांति को परिभाषित किया था.)

6 comments:

  1. इसे पढ़वाने के लिए शुक्रिया

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  2. काबिले तारिफ रचना.......अतिसुन्दर!

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  3. शहीद-ए-आज़म स0 भगत सिंह
    को
    उनके 103वें जन्म-दिवस पर
    शत्-शत् नमन!!!

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  4. तेईस की उम्र में देश और दुनिया को बदलने की इतनी गहरी समझ... इन्कलाब अमर रहे !

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  5. Behatreen!!




    awdhesh p singh
    Indore MP
    09329231909

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