Thursday, August 6, 2009

रात भर

रात भर एक ख्याल सुलगता रहा
रात भर एक रिश्ता आंखों में पलता रहा
रात भर मन मोम सा पिघलता रहा
और रात पूरी उम्र में ढलती रही...

5 comments:

  1. रात भर एक ख्याल सुलगता रहा
    रात भर एक रिश्ता आंखों में पलता रहा
    रात भर मन मोम सा पिघलता रहा
    और रात पूरी उम्र में ढलती रही...

    मुक्तक तो बहुत बढ़िया है,
    इसे इस प्रकार भी कह सकत्ते है-

    रात भर ख्वाब मस्तक में चलता रहा
    एक सम्बन्ध आंखों में पलता रहा
    रात पूरी खयालों में ढलती रही...
    मन मृदुल मोम सा बन पिघलता रहा

    भाव तो आपके ही है,
    बहिन गुस्ताखी माफ करना।

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