Tuesday, July 28, 2009

आदतन हमने ऐतबार किया

सब्र हर बार अख़्ितयार किया
हम से होता नहीं, ह$जार किया

आदतन तुम ने कर दिये वादे
आदतन हमने ऐतबार किया

हमने अक्सर तुम्हारी राहों में रुक के
अपना ही इंत$जार किया

फिर न मांगेंगे जिंदगी या रब
ये गुनाह हमने एक बार किया।
- गुलज़ार

11 comments:

  1. फिर न मांगेगें जिंदगी या रब

    ये गुनाह हमने एक बार किया । अति सुन्दर । धन्यबाद !

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  2. गुलज़ार साहेब को जितनी बार पढिये कम है...शुक्रिया आपका.
    नीरज

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  3. gulajar sahab ki her ek rachana mere aatma se hokar gujar jati hai .....bahut badhiya.......sundar

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  4. gulajar sahab ki her ek rachana mere aatma se hokar gujar jati hai .....bahut badhiya.......sundar

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  5. आभार गुलज़ार साह्ब को पढ़वाने का.

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  6. आह ज़िन्दगी ...

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  7. "फिर न मांगेंगे जिंदगी या रब
    ये गुनाह हमने एक बार किया।"

    गुलज़ार साहब कीइस खूबसूरत गज़ल को
    प्रकाशित करने के लिए,
    बधाई।

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