वहम !! उन के आने का ?? कोई उम्मीद बार नहीं आती कोई सूरत नज़र नहीं आती अच्छा है ...
bahut acchha hai!
आंखों में उतर आये अनगिनत सपने,मेरी ही तरह इन सबको भी हुआ है वहम उनके आने का...aji kya baat hai,ye ada bhi bahut raas aayi,bahut sunder
सुना है रात भर बरसा है बादल,मगर वह शहर जो प्यासा रहा है .
आँखों में उतर आये अनगिनत सपने जैसे...सपने ही हो गए हैं आँखें !
मेरी ही तरह इन सबको भी हुआ है वहम उनके आने का...सुंदर रचना। प्रतिभा जी आपका ब्लॉग आज पहली बार देखा, बेहद सुंदर बुनावट है आपके शब्दों की।
वहम !! उन के आने का ??
ReplyDeleteकोई उम्मीद बार नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती
अच्छा है ...
bahut acchha hai!
ReplyDeleteआंखों में उतर आये अनगिनत सपने,
ReplyDeleteमेरी ही तरह इन सबको भी हुआ है
वहम उनके आने का...
aji kya baat hai,ye ada bhi bahut raas aayi,bahut sunder
सुना है रात भर बरसा है बादल,
ReplyDeleteमगर वह शहर जो प्यासा रहा है .
आँखों में उतर आये अनगिनत सपने
ReplyDeleteजैसे...
सपने ही हो गए हैं आँखें !
मेरी ही तरह इन सबको भी हुआ है
ReplyDeleteवहम उनके आने का...
सुंदर रचना। प्रतिभा जी आपका ब्लॉग आज पहली बार देखा, बेहद सुंदर बुनावट है आपके शब्दों की।