Friday, August 22, 2008

कुछ टुकड़े

भीड़ कभी गंभीर नहीं होती, एकांत गंभीर होता है
लिखना एकांत की और चिंतन की उपज है यह
जितना कुछ किसी की अपनी जरूरत बने वाही ठीक है।
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हम सबका सबसे बड़ा गुनाह सचमुच यही है की हम अपने ही भीतर
पड़ी संभावनाओ को नही जानते।
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सपने की हैरानी और खुमारी बताई नही जाती।
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लेखक अपने पाठको का आसमान बड़ा कर सकता है।
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कभी-कभी घोर उदासियाँ भी आंखों में जो पानी नही ला
पति किसी दोस्त की मोहब्बत उस पानी का बाँध तोड़ देती है।
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अपने पात्रों के साथ एक जान हो जाने का तजुर्बा
भी अजीब तजुर्बा होता है।
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सिर्फ़ मुश्किल वक़्त ही नाजुक नही होता। अचानक कहीं से
इतनी पहचान मिले, इतना प्यार मिले ऐसा वक़्त भी उतना ही
नाज़ुक होता है।
गीत मेरे कर दे
मेरे इश्क का क़र्ज़ अदा
की तेरी हर एक स्तर से
आए ज़माने की सदा।
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टेढी सिलाई उधडा हुआ बखिया
यह जीना भी क्या जीना है।
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जीवन में एक बार प्यार जरूर करना चाहिए।
इस्ससे जिन्दगी पूरी हो जाती है।
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मन की धरती पर पड़े हुए ख्यालों के बीच कितने फल पाते
हैं और कितने सूख जाते हैं नहीं जानती। लइन फ़िर भी इन
अशारों का शुक्रिया अदा करती हूँ जिन्होंने बहुत हद तक मेरे
अहसास का साथ दया है।
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