प्रतिभा की दुनिया ...
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Saturday, December 31, 2011

स्वाति...अंतिम किश्त

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(अचानक स्वाति के मुंह का स्वाद कसैला हो उठा. क्या हुआ मैम, कॉफी अच्छी नहीं बनी क्या? वैभव ने पूछा तो स्वाति मुस्कुरा दी. अच्छी है. बहुत अच...
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Friday, December 30, 2011

स्वाति- अगला भाग

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(कॉफी की तलब ज्यादा थी या मन का अनमनापन कहना मुश्किल था. लेकिन कॉफी की तलब का उसके पास इलाज था सो अपने जिस्म को उठाकर किचन तक ले जाना ही उस...
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Friday, December 23, 2011

स्वाति

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- प्रतिभा कटियार  (कल के लिए पत्रिका के दिसंबर अंक में छपी इस कहानी को ब्लॉग पर सहेज रही हूँ बस ) सड़कें किसी मुर्दा देह की तरह ठं...
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Pratibha Katiyar
A journalist,writer and always a learner
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