'मैं अपनी कहानियों का अंत बदलना चाहती हूँ।' लड़की ने अपनी पनीली आँखों से लड़के की आँखों में देखते हुए कहा।
लड़के का ध्यान ट्रेन के एनाउंसमेंट पर था। उसने लड़की की आँखों में देखे बिना कहा, 'तो बदल दो न। तुम्हारी कहानी है तो अंत वही होना चाहिए जो तुम चाहती हो।' यह कहते हुए लड़का चलने को उठ खड़ा हुआ। उसकी ट्रेन का एनाउंसमेंट हो चुका था। 'चलो, निकलता हूँ अब। तुम अपना खयाल रखना' कहकर लड़के ने ट्रेन की तरफ कदम बढ़ा दिये।
लड़की अपनी पनीली आँखों से जाते हुए लड़के को देखती रही।
लड़के की पीठ पर उसकी गीली आँखें चिपकी हुई थीं। लौटते कदमों से वापस लौटती हुए लड़की सोच रही थी क्या लड़के को अपनी पीठ पर उसके आंसुओं की नमी महसूस होती होगी? वो लड़के से कह न पाई कि 'अपना ख्याल मैं क्यों रखूँ वो तो तुम्हें रखना था न।'
वो सोच रही थी कि क्या सचमुच वो अपनी कहानी का अंत बदल सकती है?
तो फिर लड़का चला क्यों गया, रुक क्यों नहीं गया। इस कहानी में वो लड़के का रुक जाना लिखना चाहती थी।
तो क्या वह झूठी कहानी लिखे?
उसकी उदास आँखें जाते हुए लड़के की नहीं आते हुए, जीवन में रुक गए, साथ निभाने वाले लड़के की कहानी लिखना चाहती थीं।
लेकिन वो झूठी कहानी नहीं लिखना चाहती थी। उसने आसमान से झरते अक्टूबर के आगे हथेलियाँ फैला दीं। घर पहुँची तो लड़का इंतज़ार करता मिला।
अरे...तुम तो चले गए थे न?
मैं कहाँ गया हूँ। कब तक इस डर को जीती रहोगी। कहीं नहीं गया मैं। ख्वाब था तुम्हारा। लो चाय पियो।
लड़की ने खुद को टटोला वो सचमुच ख्वाब में थी। उदास ख्वाब का मौसम बीत चुका था। ट्रेन न जाने कितनी चली गईं लड़का कहीं नहीं गया। वादे की मुताबिक सुबह की चाय बना रहा है। चाय की प्याली के बगल में हरसिंगार के फूल मुस्कुरा रहे थे।
लड़की ने उदास कहानियाँ लिखना बंद कर दिया है। उसके मोबाइल पर माहिरा खान की शादी के वीडियो तैर रहे हैं।
सुंदर लेखन है आपका । पढ़कर अच्छा लगा, लिखते रहिए
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर कहानी सुखांत लिए।
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर लेख
ReplyDeleteवाह!! बहुत सुंदर कहानी
ReplyDeleteवाह। बाकी मुझे एक गाना याद आ गया "खड़ा हु आज भी यही की तेरा इंतजार है🎶🎶
ReplyDeleteवाह। बाकी मुझे एक गाना याद आ गया "खड़ा हु आज यहां की तेरा इंतज़ार है🎶🎶❤️💙
ReplyDeleteसुंदर कहानी में सुखांत बहुत अच्छा लगा । सुंदर अभिव्यक्ति ।
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