'चलो न मर जाते हैं' लम्बी सुनसान सर्पीली सी सड़क पर दौड़ते-दौड़ते थककर बीच सड़क पर पसरते हुए लड़की ने कहा. यह कहकर लड़की जोर से खिलखिलाई. चीड़ के घने जंगलों में जो धूप फंसी हुई थी लड़की की हंसी के कम्पन से वो झरने लगी. धूप का एक छोटा सा झरना लड़की के चेहरे पर कुछ यूँ गिरा कि लड़की का सांवला रंग चमक उठा. जैसे हीरे की कनी चमकती है रौशनी से टकराकर.
लड़की ने फिर से अपनी बात दोहराई, 'चलो न मर जाते हैं'. लड़के ने उसकी नाक खीचते हुए कहा, 'तू मर जा, मुझे तो अभी बहुत जीना है.' लड़के के चेहरे पर शरारत थी.
लड़की ने उसी अल्हड़ अदा के साथ इतराते हुए कहा,' मेरे बिना जी लोगे?'
'जी ही रहा था इतने सालों से...'तुम्हारे बिना'...लड़के ने तुम्हारे बिना पर जोर देकर कहा.
'आगे भी जी ही लूँगा.'
'वो जीना भी कोई जीना था लल्लू...' लड़की ने लड़के के हाथ से अपनी नाक छुडाते हुए कहा. और वो फिर से चीड़ के जंगलों में खो जाने को बावरी हो उठी.
'वैसे एक बात बताओगी?' लड़के ने लड़की के पीछे से एक सवाल उछालना चाहा.
लड़की ने हंसते हुए सवाल की इजाज़त दे दी.
'ये तुम बात-बात पर मर जाने की बात क्यों करती हो? जीना तुम्हें अच्छा नहीं लगता?'
लड़की ने अपने दोनों हाथ कमर पर टिकाकर बड़ी अदा से पीछे पलटकर देखा फिर लड़के की तरफ चल पड़ी. उसके दोनों कंधे अपने हाथों से थाम कर उसने कहा,'मरना और जीना एक ही तो बात है. बिना जिए कौन मरता है भला. बिना जिए तो देह मरती है. जीना सिर्फ सांस लेना तो नहीं. मैं इतना जीना चाहती हूँ इतना जीना चाहती हूँ कि बस मर जाना चाहती हूँ.'
लड़के को कुछ भी समझ में नहीं आया.
'तुम पागल हो एकदम. कसम से' उसने लड़की के बालों में अटकी पत्तियों को हटाते हुए कहा.
लड़की ने कहा, 'इस दुनिया को सुंदर बनाये रखना का जिम्मा हम जैसे पागलों के ही हिस्से तो है जनाब. वरना समझदारों ने तो दुनिया का क्या हाल किया है तुम देख ही रहे हो.'
'चलो तो तुम्हें तुम्हारा पागलपन मुबारक.' लड़के ने उठते हुए कहा.
और तुम्हें मुबारक ये रौशनी से भरा लम्हा. लड़की ने लड़के के आगे बंद मुठ्ठी करते हुए कहा.
लड़के ने जैसे ही उम मुठ्ठी को खोला उसमें रखा धूप का वक्फा बिखर गया.
लड़के की आँखें उस रौशनी से चुन्धियाँ उठीं...लड़की ने हंसते हुए लडके के गालों को चूमते हुए कहा, 'चलो न मर जाते हैं. लड़का मध्धम आवाज़ में बुदबुदाया.'हाँ, चलो न मर जाते हैं.'
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 23 फरवरी 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
वाह! बहुत प्यारी सी कहानी, जिसने मरने और जीने की साझेदारी को जान लिया, वह मरकर भी नहीं मरता और जीकर भी मरने का आनंद लेना सीख जाता है
ReplyDeleteबिना जिए कौन मरता है भला.
ReplyDeleteइस दुनिया को सुंदर बनाये रखना का जिम्मा हम जैसे पागलों के ही हिस्से तो है जनाब. वरना समझदारों ने तो दुनिया का क्या हाल किया है तुम देख ही रहे हो.' , सुंदर लघुकथा ।
ReplyDeleteप्यारी कहानी
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