मैं तो सितारों से बात कर लूंगी
चाँद को सुना दूँगी दिल की तमाम बातें
मैं किरणों को गले से लगा लूंगी
राह चलते मिले पत्थरों के
सीने से लगकर रो लूँगी
नदियों की रवानगी में बहा दूँगी
अपनी ऊर्जा की कलकल करती तासीर
मेरा क्या है
मैं तो गेहूं की बालियों के संग
उगते खर-पतवार के संग उग आऊंगी
बिल्लियों के बच्चों को गोद में लेकर खिलखिला लूंगी
पलट कर देखूंगी तुम्हें
और आगे बढ़ जाऊंगी
उगते खर-पतवार के संग उग आऊंगी
बिल्लियों के बच्चों को गोद में लेकर खिलखिला लूंगी
पलट कर देखूंगी तुम्हें
और आगे बढ़ जाऊंगी
हिमालय की दिपदिप करती पहाड़ियों की ओर
जंगली फूलों को बालों में लगाकर झूम उठूँगी
सराबोर होउंगी बेमौसम बरसातों में भी
और हरारत होने पर खा लूंगी पैरासीटामाल
तुम्हारा जाना
तुम्हारे जीवन में क्या लाएगा नहीं जानती
मेरा क्या है
मैं तो प्यार हूँ
मुस्कुराऊंगी और धरती मुस्कुरा उठेगी...
जंगली फूलों को बालों में लगाकर झूम उठूँगी
सराबोर होउंगी बेमौसम बरसातों में भी
और हरारत होने पर खा लूंगी पैरासीटामाल
तुम्हारा जाना
तुम्हारे जीवन में क्या लाएगा नहीं जानती
मेरा क्या है
मैं तो प्यार हूँ
मुस्कुराऊंगी और धरती मुस्कुरा उठेगी...
सुन्दर रचना
ReplyDeleteशानदार रचना
ReplyDeleteसादर
मोहब्बत ! एक अजीब सी क़शमकश ...
ReplyDeleteसंभावनाओं का भण्डार ... संकेतों कि नदी और ख्यालों का समन्दर ... शीतल पुरवाई और वे वक्त का आंधी तुफान ... सब होता है ... नहीं होती तो वस .. सामने वाले को इसकी ख़वर नहीं होतीं / /
सचमुच आपने हर उस मन को छुआ होगा जिसने कभी - न - कभी " मोहब्बत " किया होगा / /
धन्यवाद् ! बिछड़े पल से पुन: मिलवाने के लिये ...
सुन्दर ! अति सुन्दर रचना / /
यदि कोई हर हाल में खुश रहने की कला सीख गया तो फिर सुकून उससे दूर नहीं रहता
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
प्यार मे सब सम्भव !
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन
वाह!!
..
ReplyDeleteवाह! प्रेमरत हृदय के विराट अस्तित्व का कोई ओर ना छोर! ये कहाँ नहीं! ये निर्बंध है, कल-कल बहती नदी की निर्मल धार-सा! ।उन्मुक्त प्यार की अत्यंत भाव-पूर्ण अभियक्ति आदरणीया!!! एक मनमोहक रचना के लिए बधाई और शुभकामनाएं/
ReplyDeleteअच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
ReplyDeletegreetings from malaysia
द्वारा टिप्पणी: muhammad solehuddin
let's be friend
I am very interested in the information contained in this post. The information contained in this post inspired me to generate research ideas.
ReplyDeleteLokasi UMJ
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ReplyDeleteLokasi UMJ
How does the speaker convey their intention to communicate with celestial bodies such as stars and the moon?
ReplyDeleteRegard Telkom University
In what ways does the speaker describe their connection with nature, particularly in relation to stones, rivers, and wheat fields?
ReplyDeleteRegard Telkom University