नयेपन में एक आकर्षण होता है. वह लगातार अपनी तरफ खींचता रहता है. ऐसा ही एक नया सा कुछ करने का प्रस्ताव जब युवा दोस्त अक्षय ने रखा तो सबसे पहले तो संकोच हुआ फिर लगा करके देखते हैं. तो इस तरह यह मेरा पहला पोडकास्ट तैयार हुआ. हम दोनों दो अलग-अलग शहरों में बैठकर चाय का प्याला हाथ में लिए कुछ बतियाने बैठे जिसे अक्षय ने रिकॉर्ड किया. हमारी बातें यूँ भी मजेदार होती हैं. उन्हीं बातों को सहेज लिया है बस.
प्रेम क्या है. कब पता चलता है कि यह प्रेम है और कब नहीं. फ्रेंड ज़ोन में न रह जाने का डर, दोस्ती प्यार है या दोस्ती में प्यार है, कैजुअल रिलेशनशिप या गहरा वाला प्यार, कहाँ नहीं है प्यार और जहाँ नहीं है प्यार वहीं तो सारे मसायल हैं. जहाँ प्यार है वहां न कोई सीमाएं, न कोई भेदभाव न कोई समस्या. कि प्यार में डूबे इन्सान को सिवाय प्रेम के कुछ सूझता ही कहाँ.
कुछ बचपन के किस्से, किताबों की बातें, फुर्सत के पलों की बाबत ढेर सारी गपशप मैंने और अक्षय ने की. बातें कितने काम की हैं, कितनी नहीं जानती लेकिन मुझे इस वार्तालाप में मजा बहुत आया. सच में.
इसके बहाने मैं अपने बचपन में लौटी, अपनी प्रिय किताबों को ,प्रिय किरदारों को याद किया. गुलमोहर के उस पेड़ को याद किया जिसकी छाँव में न जाने कितनी किताबें पढ़ीं. थोड़ी सी हंसी, थोड़ी सी मजेदारी वाली इस बातचीत को सुनने की इच्छा अगर आपकी हो तो इसे इस लिंक पर जाकर सुना जा सकता है.
लिंक- https://www.youtube.com/watch?v=1GIaWWBDrTI&t=624s
इसके बहाने मैं अपने बचपन में लौटी, अपनी प्रिय किताबों को ,प्रिय किरदारों को याद किया. गुलमोहर के उस पेड़ को याद किया जिसकी छाँव में न जाने कितनी किताबें पढ़ीं. थोड़ी सी हंसी, थोड़ी सी मजेदारी वाली इस बातचीत को सुनने की इच्छा अगर आपकी हो तो इसे इस लिंक पर जाकर सुना जा सकता है.
लिंक- https://www.youtube.com/watch?v=1GIaWWBDrTI&t=624s
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (१५-०८ -२०२२ ) को 'कहाँ नहीं है प्यार'(चर्चा अंक-४५२३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (१५-०८ -२०२२ ) को 'कहाँ नहीं है प्यार'(चर्चा अंक-४५२३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर