Friday, July 23, 2021

शुक्रिया !



जब भी मन भावों से छलकने को हुआ है शब्दों को अक्सर हताश पाया है. बीच रात में नींद खुली और अपनी कोरों के पास एक नदी बहती मिली. यह आप सबके स्नेह की नदी थी. जन्म कोई कमाल बात भी नहीं तब तक, जब तक वो किसी के अपनेपन से, स्नेहिल संग साथ से भरपूर न हो. जब हमें कोई निश्छल प्रेम से सिंचित करता है तो लगता है कुछ जी लिए हैं.

यह जन्मदिन ख़ास था कि अरसे बाद देहरादून में परिवार के सब जन इकठ्ठे हुए. यह जन्मदिन ख़ास था कि उदास दिनों की जद में उलझे मन को ऐसी स्नेहिल बारिशों की बेहिसाब प्यास थी. आपके स्नेह ने मुझे गढ़ा है. मेरी हजारों कमियों समेत आप सबने मुझे बहुत प्रेम दिया है, भरोसा किया है. घर तोहफों से, मन स्नेह से भरा है, आँखें डब डब करते हुए मुस्कुरा रही हैं और मन आभार वाले फूलों का गुलदस्ता लिए आप सबके स्नेह को गले से लगाये सुख से भरा है. 

आप सबके स्नेह की ये बारिशें यूँ ही मुझे भिगोती रहें...यही दुआ है अपने लिए इस जन्मदिन.  

1 comment:

  1. बहुत ही सुंदर जब दिल की नमी पर अपनेपन के अहसास जुड़ते है माटी की खुस्बु बिखर जाती है

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